https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1494766442523857 सोमवार की व्रत कथा

सोमवार की व्रत कथा

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सोमवार व्रत कथा 


  

सोमवार की व्रत कथा

                                                                                                                                                                                                                                    👉  आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से सोमवार के व्रत के पिछले की संपूर्ण जानकारी  लाभ , नियम , व्रत में क्या खाना चाहिए , और आरती की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। शिव जी को पृथ्वी पर जीवन संगकारा माना जाता है। इसलिए शिव को प्रसन्न करना अति आवश्यक है। प्रसन्न रखने का एक नजरिया सोमवार के व्रत भी है।                                                                                                                                                                                                                                                                    👉 सोमवार व्रत की कथा  ➡️   पहले समय में किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था।नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे।इतना सब कुछ से संपन्न होने के बाद भी वह व्यापारी बहुत दुखी था, क्योंकि उसका कोई पुत्र नहीं था।जिस कारण अपने मृत्यु के पश्चात् व्यापार के उत्तराधिकारी की चिंता उसे हमेशा सताती रहती थी।                                                                                                                                                                                               पुत्र प्राप्ति की इच्छा से व्यापरी प्रत्येक सोमवार भगवान् शिव की व्रत-पूजा कि या करता था और शाम के समय शिव मंदिर में जाकर शिवजी के सामने घी का दीपक जलाया करता था।उसकी भक्ति देखकर मां पार्वती प्रसन्न हो गई और भगवान शिव से उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया।भगवान शिव बोले- इस संसार में सबको उसके कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है।जो प्राणी जैसा कर्म करते हैं, उन्हें वैसा ही फल प्राप्त होता है।                                                                                                                                                           शिवजी द्वारा समझाने के बावजूद मां पार्वती नहीं मानी और उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ति हेतु वे शिवजी से बार-बार अनुरोध करती रही।अंततः माता के आग्रह को देखकर भगवान भोलेनाथ को उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान देना पड़ा।वरदान देने के पश्चात् भोलेनाथ मां पार्वती से बोले- आपके आग्रह पर मैंने पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दे दिया परन्तु इसका यह पुत्र 16 वर्ष से अधिक समय तक जीवित नहीं रहेगा। उसी रात भगवान शिव उस व्यापारी के स्वप्न में आए और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और उसके पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की भी बात बताई।

भगवान के वरदान से व्यापारी को ख़ुशी तो हुई, लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता ने उस ख़ुशी को नष्ट कर दिया। व्यापारी पहले की तरह सोमवार के दिन भगवान शिव का विधिवत व्रत करता रहा।कुछ महीनों के बाद उसके घर अति सुन्दर बालक जन्म लिया, घर में खुशियां भर गई. बहुत धूमधाम से पुत्र जन्म का समारोह मनाया गया परन्तु व्यापारी को पुत्र-जन्म की अधिक ख़ुशी नहीं हुई क्योंकि उसे पुत्र की अल्प आयु के रहस्य का पता था।जब पुत्र 12 वर्ष का हुआ तो व्यापारी ने उसे उसके मामा के साथ पढ़ने के लिए वाराणसी भेज दिया।लड़का अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्ति हेतु चल दिया। रास्ते में जहां भी मामा-भांजा विश्राम हेतु रुकते, वहीं यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते।

लम्बी यात्रा के बाद मामा और भांजा एक नगर में पहुंचे।उस दिन नगर के राजा की कन्या का विवाह था, जिस कारण पूरे नगर को सजाया गया था।

 निश्चित समय पर बारात आ गई लेकिन वर का पिता अपने बेटे के एक आंख से काने होने के कारण बहुत चिंतित था।उसे भय था कि इस बात का पता चलने पर कहीं राजा विवाह से इनकार न कर दे। इससे उसकी बदनामी भी होगी।जब वर के पिता ने व्यापारी के पुत्र को देखा तो उसके मस्तिष्क में एक विचार आया। उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं।विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा।

वर के पिता ने लड़के के मामा से इस सम्बन्ध में बात की।मामा ने धन मिलने के लालच में वर के पिता की बात स्वीकार कर ली।लड़के को दूल्हे का वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया। राजा ने बहुत सारा धन देकर राजकुमारी को विदा किया। शादी के बाद लड़का जब राजकुमारी से साथ लौट रहा था तो वह सच नहीं छिपा सका और उसने राजकुमारी के ओढ़नी पर लिख दिया- राजकुमारी, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ था, मैं तो वाराणसी पढ़ने के लिए जा रहा हूं और अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनना पड़ेगा, वह काना है।

जब राजकुमारी ने अपनी ओढ़नी पर लिखा हुआ पढ़ा तो उसने काने लड़के के साथ जाने से इनकार कर दिया।राजा सब बातें जानकार राजकुमारी को महल में रख लिया।उधर लड़का अपने मामा के साथ वाराणसी पहुंच गया और गुरुकुल में पढ़ना शुरू कर दिया।जब उसकी आयु 16 वर्ष की हुई तो उसने यज्ञ किया। यज्ञ के समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न, वस्त्र दान किए।रात को वह अपने शयनकक्ष में सो गया। शिव के वरदान के अनुसार शयनावस्था में ही उसके प्राण-पखेड़ू उड़ गए. सूर्योदय पर मामा मृत भांजे को देखकर रोने-पीटने लगा। आसपास के लोग भी एकत्र होकर दुःख प्रकट करने लगे।

लड़के के मामा के रोने, विलाप करने के स्वर समीप से गुजरते हुए भगवान शिव और माता पार्वती भी सुने। पार्वती ने भगवान से कहा- प्राणनाथ, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहे।आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें। भगवान शिव ने पार्वती के साथ अदृश्य रूप में समीप जाकर देखा तो भोलेनाथ पार्वती से बोले- यह तो उसी व्यापारी का पुत्र है, जिसे मैंने 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था. इसकी आयु पूरी हो गई है। मां पार्वती ने फिर भगवान शिव से निवेदन कर उस बालक को जीवन देने का आग्रह किया। माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया और कुछ ही पल में वह जीवित होकर उठ बैठा।

शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था। उस नगर में भी यज्ञ का आयोजन किया। समीप से गुजरते हुए नगर के राजा ने यज्ञ का आयोजन देखा और उसने तुरंत ही लड़के और उसके मामा को पहचान लिया। यज्ञ के समाप्त होने पर राजा मामा और लड़के को महल में ले गया और कुछ दिन उन्हें महल में रखकर बहुत-सा-धन, वस्त्र आदि देकर राजकुमारी के साथ विदा कर दिया।

इधर भूखे-प्यासे रहकर व्यापारी और उसकी पत्नी बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो दोनों अपने प्राण त्याग देंगे परन्तु जैसे ही उसने बेटे के जीवित वापस लौटने का समाचार सुना तो वह बहुत प्रसन्न हुआ।  वह अपने पत्नी और मित्रो के साथ नगर के द्वार पर पहुंचा।अपने बेटे के विवाह का समाचार सुनकर, पुत्रवधू राजकुमारी को देखकर उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है। पुत्र की लम्बी आयु जानकार व्यापारी बहुत प्रसन्न हुआ।

सोमवार का व्रत करने से व्यापारी के घर में खुशियां लौट आईं। शास्त्रों में लिखा है कि जो स्त्री-पुरुष सोमवार का विधिवत व्रत करते और व्रतकथा सुनते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

                                                                                                                                                        👉 सोमवार व्रत के लाभ  ➡️      सोमवार व्रत कथा एवं व्रत माहात्म्य : सोमवार का व्रत  भगवान भोलेनाथ की अर्चना हेतु किया जाता है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मानसिक क्लेशों से छुटकारा मिलता है एवं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि श्रवण के महीने में सोमवार का व्रत धारण किया जाए तो यह अधिक फलदायक सिद्ध होता।                                                                                                       1. सोमवार व्रत रखने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। इससे कई सारे रोगों से छुटकारा मिलता है।


2. सोमवार व्रत से अविवाहित लड़कियों को फलदायी लाभ मिलता है। मान्यता है कि 16 सोमवार व्रत रखने से कुवांरी लड़कियों को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। 


3. सोमवार व्रत रखने से कुंडली में चंद्र ग्रह मजबूत होता है, जिससे नौकरी की समस्या का निदान और व्यवसाय में लाभ मिलता है।


4. पुराणों के अनुसार, सोमवार के व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। 


5. सावन के सोमवार में व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय और सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इस व्रत को स्त्री-पुरुष दोनों रख सकते हैं।                                                                                                                                                                   6. सोमवार व्रत रखने से व्यक्ति की सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भगवान शिव बहुत ही दयालु हैं, जो अपने भक्तों के छोटे से छोटे दुखों को दूर करते रहते हैं। इसलिए सोमवार व्रत को सभी पूरी श्रद्धा के साथ रखते हैं।

                                                                                                                                                      👉 सोमवार व्रत के नियम ➡️                                                                                                               1. व्रती सोमवार के दिन सुबह देर तक न सोएं।

2. सुबह उठकर पवित्र स्नान करें, स्नान के पानी में गंगाजल जरूर मिलाएं।

3. साफ वस्त्र धारण करें।

4. इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।

5. भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें।

6. एक वेदी पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।

7. पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करें।

8. उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाएं।

9. बेलपत्र, भांग, धतूरा और सफेद फूल शिव जी को अर्पित करें।

10. खीर का भोग लगाएं।

11. सोमवार की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।

13. शिव जी का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।

14. अंत में भावपूर्ण महादेव की आरती करें।

15.क्षव्रती तामसिक चीजों से दूर रहें।

16. पूजा में हल्दी, रोली और तुलसी का पत्र भूलकर भी शामिल न करें।

17. अगले दिन सुबह प्रसाद से अपना व्रत खोलें, साथ ही व्रत में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।                                                                                                                                                                 👉 सोमवार के व्रत में क्या खाएं  ➡️                                                                                        

 व्रत करने वाले भक्त को पूरे दिन फलाहार करना चाहिए।


2. मौसमी फल जैसे केला, सेब और आम खा सकते हैं।


3. कच्चा नारियल, दूध, दही, छाछ और लस्सी भी फलाहार में शामिल कर सकते हैं।


4. व्रत खोलने के लिए लौकी या कद्दू के सब्जी खा सकते हैं।


5. व्रत खोलने के लिए साबूदाने की खिचड़ी या खीर भी खा सकते हैं।


6. व्रत के सिर्फ सेंधा नमक ही इस्तेमाल करें।



7. उबले हुए आलू, आलू की टिक्की या हलवा भी फलाहार में रख सकते हैं।                                                                                                                                                                                                👉 सोमवार के व्रत क्या ना खाएं  ➡️                                                                                                                                                                                                                         

1. सावन के महीने में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।


2. सोमवार के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।


3. हरी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।


4. व्रत में बैंगन और परवल भी अच्छा नहीं माना जाता है।


5. व्रत में ज्यादा मसाले और बेसन की चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।


6. साधारण नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

                                                                                                                                                        👉 सोमवार व्रत कथा आरती  ➡️                                                                                                                                                                                  ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

                                                                             ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।


हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।


त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।


त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।


सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।


सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।


मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।


शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।


नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।


कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥                                                                                                                             'इस आर्टिकल में निहित किसी भी जानकारी सामग्री गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों ज्योतिषियों पंचांग प्रवचनों मान्यताओं धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।                                             ✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔 


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