https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1494766442523857 भारत चीन एक बार फिर आमने-सामने

भारत चीन एक बार फिर आमने-सामने

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चीन और भारत एक बार फिर आमने-सामने 


                                                                            👉  भारत और चीन  एक बार फिर सीमा विवाद  को लेकर आमने-सामने होंगे है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर पिछले कुछ समय से तेवर नरम हो दिख रहे थे। लेकिन चीन हालिया कारवाई से एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनती नजर आ रही है। शुक्रवार को भारत ने चीन की ओर से नए कांउटी बनाने के फैसले का जबरदस्त विरोध किया है और कहा है कि वह अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं करेगा।                                                                                                                          भारत ने शुक्रवार को कहा कि उसने होटन प्रान्त में दो नए काउंटी बनाने पर चीन के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है। भारत का कहना है कि इन क्षेत्रों के कुछ हिस्से भारतीय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं।


नई दिल्ली ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नए काउंटी बनाने से न तो क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता के संबंध में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी।                                                                                                                                                                                      👉 विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान  ➡️   विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'हमने चीन के होटन प्रान्त में दो नए काउंटी बनाने से संबंधित घोषणा देखी है। इन तथाकथित काउंटी के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं।'                                                                                                                    उन्होंने कहा, 'हमने इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।' जायसवाल ने कहा, 'नए देशों के निर्माण से न तो इस क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के बारे में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी।' उन्होंने आगे कहा, 'हमने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया ।                                                                                                                                                                                                        👉 बाॅध बनाने पर आपत्ति   ➡️  इसके अलावा भारत ने चीन की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाए जाने के फैसले पर भी चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में शुक्रवार को कहा कि नई दिल्ली ने तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी पर पनबिजली बांध बनाने की चीन की योजना के बारे में बीजिंग को अपनी चिंताएं बताई हैं।


गौरतलब है कि यह नदी भारत में भी बहती है। हालांकि, इस पर चीनी अधिकारियों का कहना है कि तिब्बत में पनबिजली परियोजनाओं से पर्यावरण या नीचे की ओर पानी की आपूर्ति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत और बांग्लादेश ने बांध को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं। बता दें कि यारलुंग जांगबो तिब्बत से निकलकर भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों में बहती हुई ब्रह्मपुत्र नदी बन जाती है और अंत में बांग्लादेश में मिल जाती है।                                                                                                                                                                                                                                            👉 बाॅध पर रखगी जाएगी निगरानी   ➡️   ब्रह्मपुत्र पर विशाल बांध बनाने की चीन की योजना पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी जारी रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों के राज्यों के हितों को नुकसान न पहुंचे।                                                                                                                                                                                                                          👉 क्या चीन की योजना   ➡️   बता दें कि चीन ने हाल ही में ब्रह्मपुत्र पर बांध को बनाने का एलान किया है। ये बांध तिब्बत में यारलुंग जंग्बो के निचले हिस्से में बनाया जाना है। हिमालयी क्षेत्र में जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल में प्रवेश करती है, वहां एक बड़ा और शार्प यू-टर्न लेती है। इसी जगह पर एक विशाल घाटी मौजूद है। बांध का निर्माण यहीं किया जाना है।


 भारत और चीन एक बार फिर आमने-सामने 



इसके निर्माण में 137 बिलियन डॉलर खर्च होने की उम्मीद है। चीन में पहले से ही थ्री गोरजेस बांध मौजूद है, जो वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा है, लेकिन अगर ब्रह्मपुत्र पर बनने वाला बांध चीन के प्लान मुताबिक तैयार हो गया तो यह थ्री गोरजेस से भी बड़ा होगा। इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा बांध चीन फिर से बनाने वाला है।                ✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔

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