https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1494766442523857 परमा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी

परमा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी

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परमा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी


         परमा एकादशी 



 

👉  पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। क्योंकि, यह तीन साल में एक बार आती है।  ज्योतिषियों की मानें तो हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। सालभर में 24 एकादशी पड़ती है।  लेकिन परमा एकादशी 2023 थी तो अब यह 2026 होगी। परमा एकादशी का व्रत रखने से पहले आप को परमा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी होना जरूरी है। अगर आप को संपूर्ण जानकारी नहीं होगी तो आप व्रत में कोई ग़लती कर देते हो तो आप व्रत खंडित हो जाता है। यदि आप को परमा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी होगी तो गलती होने संभावना कम हो जाती है। जानकारी के लिए बताते परमा एकादशी व्रत की कथा क्या है। परमा एकादशी व्रत की विधि क्या है। परमा एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। परमा एकादशी व्रत में उपयोग होने वाले मंत्र क्या हैं। परमा एकादशी व्रत में उपयोग होने वाली आरती क्या है। परमा एकादशी के व्रत कब शुरू करने चाहिए। परमा एकादशी व्रत रखने से क्या लाभ होता है। परमा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए। परमा एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करना चाहिए आदि जानकारी होना अति आवश्यक है। यदि यह सब जानकारियां होगी तो किसी प्रकार गलती होने की संभावनाएं कम हो जाती है।  


परमा एकादशी की संपूर्ण जानकारी इस प्रकार है  ➡️


👉 परमा एकादशी व्रत कथा ➡️ 


काम्पिल्य नगरी में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास करता था। ब्राह्मण बहुत धर्मात्मा था और उसकी पत्नी पतिव्रता स्त्री ‍थी। यह परिवार बहुत सेवाभावी था। दोनों स्वयं भूखे रह जाते परंतु अतिथियों की सेवा हृदय से करते थे। धनाभाव के कारण एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी कहा- धनोपार्जन के लिए मुझे परदेस जाना चाहिए क्योंकि इतने कम धनोपार्जन से परिवार चलाना अति कठिन काम है।

ब्राह्मण की पत्नी ने कहा- मनुष्य जो कुछ पाता है वह अपने भाग्य से ही पाता है। हमें पूर्व जन्म के कर्मानुसार उसके फलस्वरूप ही यह गरीबी मिली है अत: यहीं रहकर कर्म कीजिए जो प्रभु की इच्छा होगी वही होगा।

पत्नी की बात ब्राह्मण को जँच गई और उसने परदेस जाने का विचार त्याग दिया। एक दिन संयोगवश कौण्डिल्य ऋषि उधर से गुजर रहे थे तो ब्राह्मण के घर पधारे। ऋषि कौण्डिल्य को अपने घर पाकर दोनों अति प्रसन्न हुए। उन्होंने ऋषि की खूब आवभगत की।

उनका सेवा भाव देखकर ऋषि काफी खुश हुए और पति-पत्नी द्वारा गरीबी दूर करने का प्रश्न पूछने पर ऋषि ने उन्हें मलमास के कृष्ण पक्ष में आने वाली पुरुषोत्तमी एकादशी करने की प्रेरणा दी। व्रती को एकादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर हाथ में जल एवं फूल लेकर संकल्प करना चाहिए। इसके पश्चात भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देकर विदा करने के पश्चात व्रती को स्वयं भोजन करना चाहिए।

उन्होंने कहा इस एकादशी का व्रत दोनों रखें। यह एकादशी धन-वैभव देती है तथा पापों का नाश कर उत्तम गति भी प्रदान करने वाली होती है। धनाधिपति कुबेर ने भी इस एकादशी व्रत का पालन किया था जिससे प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें धनाध्यक्ष का पद प्रदान किया।

ऋषि की बात सुनकर दोनों आनंदित हो उठे और समय आने पर सुमेधा और उनकी पत्नी ने विधिपूर्वक इस एकादशी का व्रत रखा जिससे उनकी गरीबी दूर हो गई और पृथ्वी पर काफी वर्षों तक सुख भोगने के पश्चात वे पति-पत्नी श्रीविष्णु के उत्तम लोक को प्रस्थान कर गए।

अत: हे नारद! जो कोई मनुष्य विधिपूर्वक इस व्रत को करेगा भगवान विष्णु निश्‍चित ही कल्याण करते हैं।



👉 परमा एकादशी व्रत की विधि क्या है ➡️ 

1. परमा एकादशी के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें।                                                                           

  

 2. इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। 



3.अब एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर श्री विष्णु की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विष्णु जी को पीले रंग के फूल, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाने के साथ मिठाई, खीर आदि का भोग लगाएं। 



फिर घी का दीपक और धू जलाकर विष्णु चालीसा, मंत्र, एकादशी व्रत कथा का पाठ कर लें। अंत में विधिवत आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके साथ ही दिनभर फलाहारी व्रत रखने के बाद शुभ मुहूर्त में पारण कर दें।   


 

👉 परमा एकादशी व्रत में उपयोग होने वाला विष्णु चालीसा  ➡️

दोहा


विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥


विष्णु चालीसा


नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥


सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥


शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥


सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटा  करत जन सज्जन ॥



👉 परमा एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️ 


हर व्रत में कुछ सावधानियां बरतनी होती है। परमा एकादशी में भी कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए  जो निम्न प्रकार हैं :- 


1. एकादशी के दिन दरवाजे पर आए किसी व्यक्ति या जीव को बिना कुछ खिलाएं ने लौटाएं। कहते हैं कि इस दिन पितर किसी भी रूप में आ सकते हैं।

अगर आपने परमा एकादशी का व्रत रखा है तो किसी के घर का कुछ भी न खाएं। यहां तक जल भी न ग्रहण करें।

एकादशी के दिन दान करना तो शुभ होता है लेकिन किसी से दान में कुछ लेना अच्छा नहीं माना जाता है। 

एकादशी के दिन सूर्योदय के बाद देर तक न सोएं। इस दिन दोपहर में सोना भी वर्जित माना गया है।ॉ

एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें।


 

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👉 परमा एकादशी व्रत उपयोग होने वाले मंत्र  ➡️ 


विष्णु मंत्र

1- लक्ष्मी विनायक मंत्र - 

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।


2- ॐ अं वासुदेवाय नम:

3- ॐ आं संकर्षणाय नम:

4- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:

5- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

6- ॐ नारायणाय नम:


7- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।


8- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

  हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।


9- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।



👉 परमा एकादशी व्रत में उपयोग होने वाली आरती  ➡️ 

ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे॥

भक्त जनों के संकट,क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का॥

सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का॥


मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी॥

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी॥


तुम पूरण परमात्मा,तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी॥


तुम करुणा के सागर,तुम पालनकर्ता॥

मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता॥


तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति॥

किस विधि मिलूँ दयामय,तुमको मैं कुमति॥


दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे॥

करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥


विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा॥

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥


तन-मन-धन सब है तेरा॥

तेरा तुझको अर्पण,क्या लागे मेरा॥


ऊं जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे |

भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे। ऊं जय जगदीश हरे ||



👉 परमा एकादशी का व्रत कब शुरू करना चाहिए  ➡️ 

श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को परम एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने व भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन परमा एकादशी का व्रत तीन साल में एक बार आता है । इसलिए 2025 में कोई परमा एकादशी व्रत नहीं है। परमा एकादशी का व्रत 2023 में था। इसी प्रकार देखा जाए तो तीन साल 2026 में होते हैं। आप को परमा एकादशी व्रत रखने की सोच रहे हैं तो एक साल का इंतजार करना होगा।

  


👉 परमा एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए ➡️ 

 परमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन प्रभु नारायण की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी का व्रत पड़ता है एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। लेकिन परमा एकादशी तीन साल में एक बार आता है।



👉 परमा एकादशी व्रत रखने से क्या लाभ होता है ➡️  

हर व्रत प्रकार के व्रत रखने से लाभ होता है। इसी प्रकार परमा एकादशी के अपने लाभ है जो निम्न प्रकार है :- 


1. यह धन, सुख और ऐश्वर्य की दाता है।


2. इस एकादशी में स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौदान करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है।


3. यह एकादशी परम दुर्लभ सिद्धियों की दाता है। पंचरात्रि तक इसका व्रत रखने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। 


4.इस दिन भगवान श्री विष्‍णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।


5. विधिवत रूप से इस एकादशी का व्रत रखने से पुत्र-पौत्रादि का सुख प्राप्त होता है।


6. यह एकादशी हर प्रकार की समृद्धि और पुण्य प्रादान करने वाली है।


7. विधिवत रूप से इस एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।


8. पूरे विधि-विधान से इस दिन उपवास रखने से सभी पापों का नाश भी हो जाता है। 


9. यह एकादशी जीवन में चले आ रहे संकटों का समाधान करके पुण्य प्रदान करती है।


10. यह सभी तरह की मनोकामना पूर्ण करने वाली एकादशी है।



👉 परमा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए  ➡️ 

परमा एकादशी पर खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थ इस प्रकार हैं :-


1. जो भक्त परमा एकादशी का व्रत रखते हैं वे इस दिन अनाज, दालें और फलियाँ नहीं खाते हैं। वे आलू, प्याज और लहसुन जैसी जड़ वाली सब्ज़ियाँ भी नहीं खाते। 


2. इसके बजाय वे फल, मेवे और बीज खाते हैं। दूध, दही और घी भी खाने की अनुमति है। 


3.परमा एकादशी के दिन सभी तरह के ताजे और सूखे मेवे खाने की अनुमति है। इस दिन खाए जाने वाले कुछ लोकप्रिय फलों में केला, सेब, संतरा, अंगूर और जामुन शामिल हैं। 


4. परमा एकादशी के दिन सभी प्रकार के मेवे खाए जा सकते हैं। 


5. परमा एकादशी पर तिल, अलसी, चिया बीज और कद्दू के बीज जैसे बीजों का सेवन किया जा सकता है।


 परमा एकादशी पर दूध, दही और घी का आनंद लिया जा सकता है। ये प्रोटीन और कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।



👉 परमा एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करें  ➡️ 


द्वादशी तिथि पर सूर्यदेव को जल चढ़ाकर, ब्राह्मणों को भोजन करवा कर वस्त्र, रुपए-पैसे दान दक्षिणा स्वरूप भेंट दें। - तत्पश्चात स्वयं पारण करें। - अपने सामर्थ्य के अनुसार इस दिन गाय को चारा-पानी दें, पितृ तर्पण करें तथा गरीबों को भोजन और अन्य चीजों का दान करें।


नोट   इस आर्टिकल में निहित किसी भी जानकारी  ,   सामग्री , गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों  , ज्योतिषियों , पंचांग  ,प्रवचनों , मान्यताओं  ,धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। 

                           ✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔 

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