https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1494766442523857 रविवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी

रविवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी

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रविवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी


     रविवार व्रत 



                                                                           👉 सप्ताह के हर दिन किसी न किसी देवी - देवता के लिए व्रत रखने या पूजा करने का विधान है। रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है और बहुत से लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। रविवार को व्रत रखने से समस्त शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और असीम सुखों की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल की मदद से रविवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी प्रदान करने की कोशिश करेंगे।  रविवार के व्रत रखने से पहले रविवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होना आवश्यक है। रविवार के व्रत की कथा क्या है। रविवार के व्रत की विधि क्या है। रविवार व्रत के मंत्र क्या हैं। रविवार व्रत की आरती क्या है। रविवार के व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। रविवार के व्रत कब शुरू करने चाहिए। रविवार के कितने व्रत करने चाहिए। रविवार के व्रत के क्या लाभ है । रविवार के व्रत में क्या खाना चाहिए। रविवार के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए। रविवार के व्रत की पूजा सामग्री क्या है। रविवार के व्रतों का उद्यापन कैसे करना चाहिए आदि की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होना आवश्यक है। तभी रविवार के व्रत रखने चाहिए। 


👉 रविवार व्रत कथा  ➡️                                                                                                                  सभी मनोकामनाएं पूर्ण करनेवाले और जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा हेतु सर्वश्रेष्ठ व्रत रविवार की कथा इस प्रकार से है- प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी।  वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती।  रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुन कर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती। सूर्य भगवान की अनुकम्पा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था।

उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी।  पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया।  सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई।

रात्रि में सूर्य भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और व्रत न करने तथा उन्हें भोग न लगाने का कारण पूछा. बुढ़िया ने बहुत ही करुण स्वर में पड़ोसन के द्वारा घर के अन्दर गाय बांधने और गोबर न मिल पाने की बात कही। सूर्य भगवान ने अपनी अनन्य भक्त बुढ़िया की परेशानी का कारण जानकर उसके सब दुःख दूर करते हुए कहा- हे माता, तुम प्रत्येक रविवार को मेरी पूजा और व्रत करती हो। मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं और तुम्हें ऐसी गाय प्रदान करता हूं जो तुम्हारे घर-आंगन को धन-धान्य से भर देगी। तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी। रविवार का व्रत करनेवालों की मैं सभी इच्छाएं पूरी करता हूं। मेरा व्रत करने व कथा सुनने से बांझ स्त्रियों को पुत्र की प्राप्ति होती है। स्वप्न में उस बुढ़िया को ऐसा वरदान देकर सूर्य भगवान अन्तर्धान हो गए।

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुन्दर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुन्दर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर किया।  गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं। पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरन्त उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई।  सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी।

बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला।  बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही। लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई. आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया।  सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी।  सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई।  उस बुढ़िया के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उस नगर के राजा के पास भेज दिया।

राजा को जब बुढ़िया के पास सोने के गोबर देने वाली गाय के बारे में पता चला तो उसने अपने सैनिक भेजकर बुढ़िया की गाय लाने का आदेश दिया।  सैनिक उस बुढ़िया के घर पहुंचे। उस समय बुढ़िया सूर्य भगवान को भोग लगाकर स्वयं भोजन ग्रहण करने वाली थी। राजा के सैनिकों ने गाय और बछड़े को खोला और अपने साथ महल की ओर ले चले। बुढ़िया ने सैनिकों से गाय और उसके बछड़े को न ले जाने की प्रार्थना की, बहुत रोई-चिल्लाई, लेकिन राजा के सैनिक नहीं माने। गाय व बछड़े के चले जाने से बुढ़िया को बहुत दुःख हुआ।  उस दिन उसने कुछ नहीं खाया और सारी रात सूर्य भगवान से गाय व बछड़े को लौटाने के लिए प्रार्थना करती रही।

सुन्दर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ।  सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।  उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई।  उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरन्त लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा।  सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया। राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दण्ड दिया। 

फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें।  रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए। चारों ओर खुशहाली छा गई।  सभी लोगों के शारीरिक कष्ट दूर हो गए। राज्य में सभी स्त्री-पुरुष सुखी जीवन-यापन करने गे।


   शनिवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें                                                                                                                                                                                                                     👉 रविवार के व्रत की विधि  ➡️                                                                                                            इस व्रत की अपनी विधि होती है । इसी प्रकार रविवार के व्रत की अपनी विधि है  , जो निम्न प्रकार हैं  -                                                                                                                                    1.रविवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।

2. इस दिन मुख्य रूप से सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसलिए सफेद वस्त्र धारण करें।

3. इसके बाद एक लोटे में जल लेकर उसमें रोली, लाला फूल, अक्षत, चीनी, चंदन आदि मिलाएं।

4. तैयार किए गए जल का अर्घ्य सूर्य देव को अर्पित करें और रविवार के व्रत का संकल्प लें।

4. अब सूर्य देव की पूजा के लिए एक चौकी स्थापित करें।

5. चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर इस पर भगवान सूर्य की तस्वीर स्थापित करें।

4. अब सूर्य देव को रोली, अक्षत, सुपारी, फूल आदि चीजें अर्पित करें।

5. सूर्य देव के समीप घी का दीपक और धूप जलाएं।

6. भगवान सूर्य को भोग के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें।

7. अब रविवार व्रत कथा पढ़ें और आखिर में सूर्य देव की आरती जरूर करें। तभी ये व्रत सफल माना जाएगा।                                                                                                                                                                                                                        रविवार के व्रत की पूजा सामग्री ➡️                                                                                                  एक लोटे में शुद्ध व साफ जल लेकर उसमें रोली, लाला फूल, अक्षत, शक्कर, चंदन आदि मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और रविवार व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर में पूजा के लिए एक चौकी तैयार कर लीजिए। चौकी में लाल रंग का कपड़ा रखकर सूर्य देव की तस्वीर स्थापित करें। भगवान को रोली, अक्षत, सुपारी, फूल आदि चढ़ाएं।                                                                                                                                                                                    👉 रविवार के व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए  ➡️                                                                                                                                        1. अगर आप सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।

2. रविवार के दिन पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनें।

3. इस दिन ग्रे, काले, नीले या अन्य किसी गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें।

4. रविवार के व्रत में नमक का सेवन बिल्कुल न करें।

5. मांस-मदिरा का सेवन करने से बचें, अन्यथा आपको सूर्यदेव का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।

6. रविवार के दिन बाल-दाढ़ी न कटवाएं। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

7. रविवार के दिन तांबा धातु से जुड़ी चीजों की खरीदारी या बिक्री भूलकर भी न करें। इससे दुख-परेशानी आती है।                                                                                                                                                                                                          👉 रविवार के व्रत कब शुरू करने चाहिए  ➡️                                                                                      ज्योतिषों की मानें तो हिन्दू कैलेंडर के आश्विन मास (सितम्बर-अक्टूबर) में शुक्ल पक्ष में प्रथम रविवार को व्रत का आरंभ करना बहुत शुभ माना जाता है। 


👉 रविवार कितने व्रत करने चाहिए  ➡️                                                                                        सूर्य का व्रत एक वर्ष या 30 रविवारों तक अथवा 12 रविवारों तक करना चाहिए।


👉 रविवार के व्रत के मंत्र ➡️    

 1. ॐ हृां मित्राय नम:

 2. ॐ हृीं रवये नम:

 3. ॐ हूं सूर्याय नम:

 5. ॐ हृों खगाय नम:

 6. ॐ हृ: पूषणे नम:

 7. ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः

 8. ॐ मरीचये नमः

9. ॐ आदित्याय नमः

 10. ॐ सवित्रे नमः

 11. ॐ अर्काय नमः

12. ॐ भास्कराय नमः


👉 रविवार के व्रत के लिए आरती  ➡️ 

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।



सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।



देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।



पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।


जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।


जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥



रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।


षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥



जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।


जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥



नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।


निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥




करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥



कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।


निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥



हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।


जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥


👉 रविवार के व्रत के लाभ क्या हैं  ➡️ 

हर वार को व्रत हम किसी - न - किसी  लाभ के लिए ही रखते हैं। इस प्रकार रविवार के व्रतों के भी अपने लाभ है , जो निम्नलिखित है - 


1. रविवर व्रत या रविवार का उपवास भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत करने से सूर्य देव से आशीर्वाद मिलता है। रविवार का व्रत और आदित्य ह्रदय स्तोत्रम (आदित्य, सूर्य देव की स्तुति में गाए गए पवित्र भजन) का जाप करने से आपको निम्नलिखित लाभ मिलते है।


2. इस दिन व्रत करने से आपको पापों से मुक्ति मिलती है।


3. जबकि साथ ही विभिन्न बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।


4. एक उज्ज्वल स्वभाव, तेज बुद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त करने में यह व्रत काफी लाभदायक माना जाता है।


5. घर परिवार में आनंद बना रहता है।


6. इसके अलावा रविवार व्रत करमे से लोगों के बीच पनपा संदेह दूर होता है।


7.चिंताओं और दुखों से मुक्ति।


👉 रविवार के व्रत में क्या खाना चाहिए  ➡️ 

रविवार के दिन आप निम्न चीजे खा सकते हैं।


1. भोग :- भोजन करने से पहले आपको प्रसाद का सेवन करना है फिर ही भोजन करना है। भगवान को जो भी आपने भोग लगाया उसे प्रसाद स्वरूप खाकर ही आप भोजन करें।

2. गेंहू की मीठी रोटी :- रविवार को गेंहू की मीठी रोटी गुड़ डालकर बनाए ।

3. गेंहू के आटे का दलिया और हलवा :- रविवार को गेंहू के आटे का दलिया और हलवा बनाकर भी आप खा सकते हैं।

4. फल :- रविवार के व्रत में आप दिन में फलों का सेवन कर सकते हैं। कोशिस करें की इस दिन खट्टे फल ना खाएं। रविवार के व्रत में लाल फल जैसे सेव अनार आदि खाएं तो उत्तम माना जाता है।

5. दूध दही :- रविवार के व्रत के भोजन में आप दूध और दही भी शामिल कर सकते हैं।


👉 रविवार के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए  ➡️ 

रविवार के दिन क्या क्या नहीं खाना चाहिए?


1. अगर अपने रविवार का व्रत रखा है तो नमक का सेवन ना करें। रविवार के व्रत में एक ही बार खाना खाया जाता है वो भी बिना नमक का ।

2. रविवार के व्रत के दिन सात्विक दिनचर्या रखें। माँस – मदिरा आदि से दूर रहें।

3. रविवार के दिन खिचड़ी कभी नहीं खाई जाती है। इसलिए इस दिन खिचड़ी का सेवन ना करें। माना जाता है की रविवार के दिन खिचड़ी खाने से जातक के जीवन में आर्थिक संकट आ सकते हैं।

4. उड़द की दाल का सेवन भी रविवार को नहीं करना चाहिए। उड़द की दाल शनिदेव से सम्बन्धित भोजन है। रविवार को शनिदेव से सम्बन्धित भोजन कभी नहीं करना चाहिए वरना आपका सूर्य कमजोर होता है।

5. मसूर की दाल का सेवन भी रविवार को वर्जित माना गया है क्यूंकी मसूर की दाल नकारात्मक भोजन की श्रेणी में आटा है।

6. रविवार के दिन लाल साग भी नहीं खाना चाहिए।

7. अगर हो सकते तो रविवार के दिन तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसून और अदरक का सेवन भी ना करें।


👉 रविवार के व्रत की उद्यापन विधि  ➡️ 

यदि बिना भोजन किये अगर सूर्य अस्त हो जाता है तो अगले दिन सूर्यास्त के पश्चात सूर्य को अर्ध्य प्रदान करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। भोजन में गुड़ का हलवा भी बनाया जा सकता है। सबसे अंतिम रविवार को जातक को उद्यापन करना चाहिये और एक योग्य ब्राह्मण को बुलाकर हवन करवाना चाहिये।


नोट  इस लेख में निहित किसी भी जानकारी , सामग्री , गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों , ज्योतिषियों , पंचांग , प्रवचनों , मान्यताओं , धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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                   ✍️  मंजीत सनसनवाल 🤔 


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