कामदार व्रत की संपूर्ण जानकारी
👉 हिंदु धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। साधकों द्वारा प्रभु श्री हरि की कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी का व्रत किया जाता है। व्रत कथा के बिना कोई कोई भी व्रत कोई भी व्रत अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं , कामदा एकादशी व्रत और इस व्रत की महिमा के विषय में।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर कामदा एकादशी का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। साथ ही भक्तों के कष्टों का भी निवारण होता है। इस आर्टिकल में कामदा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। व्रत की क्या कथा है। कमदा एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है। कमला एकादशी व्रत 2025 में कब है। कामदा के कितने व्रत करने चाहिए। कामदा एकादशी के व्रत में कोन - से मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। कामदा एकादशी व्रत में कोन - सी आरती करनी चाहिए। कमदा एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।कामदा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए। कामदा एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए। कामदा एकादशी व्रत रखने के क्या लाभ है। कामदा एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करना चाहिए।
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1. कमदा एकादशी व्रत की कथा ➡️
धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे हे भगवान मैं आपको कोटि - कोटि नमस्कार करता हूं । अब आप कृपा करके चैत्र शुक्ल एकादशी का महात्म्य कहिए। श्री कृष्ण कहते हैं लगें कि हे धर्मराज ! यही प्रश्न एक समय राजा दिलीप ने विशिष्ट जी से किया था और जो समाधान उन्होंने किया वो सब मैं तुमसे कहता हूं।
प्राचीनकाल में भोगीपुर नामक एक नगर था । वहां पर अनेक ऐश्वर्या से युक्त पुण्डरी नाम का एक राजा राज्य करता था । भोगीपुर नगर में अनेक अप्सरा , किन्नर तथा गन्धर्व वास करते थे। उनमें से एक जगह ललिता और ललित नाम के दो स्त्री-पुरुष अत्यंत वैभवशाली घर में निवास करते थे। उन दोनों में अत्यंत स्नेह था, यहां तक कि अलग-अलग हो जाने पर दोनों व्याकुल हो जाते थे।
एक समय पुण्डरी की सभा में अन्य गंधर्वों सहित ललित भी गान कर रहा था । गाते - गाते उसको अपनी प्रिय ललिता का ध्यान आ गया और उसका स्वंर भंग होने के कारण गाने का स्वरूप बिगड़ गया । ललित के मन के भाव जानकर कार्कोट नामक नाग ने पद भंग होने का कारण राजा से कह दिया। तब पुण्डरीक ने क्रोधपूर्वक कहा कि तू मेरे सामने गाता हुआ अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है। अत: तू कच्चा मांस और मनुष्यों को खाने वाला राक्षस बनकर अपने किए कर्म का फल भोग।
पुण्डरीक के श्राप से ललित उसी क्षण महाकाय विशाल राक्षस हो गया । उसका मुख अंत्यत भयंकर , नेत्र , सूर्य - चंद्रमा की तरह प्रदीप्त तथा अग्नि निकलने लगी । उसकी नाक पर्वत की कंदरा के समान विशाल हो गई और गर्दन पर्वत के समान लगने लगी। सिर के बाल पर्वतों पर खड़े वृक्षों के समान लगने लगे तथा भुजाएं अत्यंत लंबी हो गईं। कुल मिलाकर उसका शरीर आठ योजन के विस्तार में हो गया। इस प्रकार राक्षस होकर वह अनेक प्रकार के दुःख भोगने लगा।
जब उसकी प्रियतमा ललिता को यह वृत्तांत मालूम हुआ तो उसे अंत्यत दु:ख हुआ और वह अपने पति के उद्गार का यत्न सोचने लगी । वह राक्षस अनेक प्रकार के धोर दुःख सहता हुआ घने वनों में रहने लगा। उसकी स्त्री उसके पीछे-पीछे जाती और विलाप करती रहती। एक बार ललिता अपने पति के पीछे घूमती-घूमती विंध्याचल पर्वत पर पहुंच गई, जहाँ पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम था। ललिता शीघ्र ही श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गई और वहां जाकर विनीत भाव से प्रार्थना करने लगी।
उसे देखकर श्रृंगी ऋषि बोले कि हे सुभगें ! कौन हो और यहां किस लिए आई हो ? ललिता बोली कि हे मुने ! मेरा नाम ललिता है।मेरा पति राजा पुण्डरी के श्राप से विशालकाय राक्षस हो गया है । इसका मुझको महान दु:ख है। उसके उदार का कोई उपाय बताएं। श्रृंगी ऋषि बोले हे गंधर्व कन्या ! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली हैं , जिसका नाम कामदा एकादशी है। यदि तू कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को दे तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप अवश्यमेव शांत हो जाएगा।
मुनि के ऐसे वचन सुनकर ललिता ने चैत्र शुक्ल एकादशी आने पर उसका व्रत किया और द्वादशी को ब्रह्माणो के सामने अपने व्रत का फल अपने पति को देती हुई भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करने लगी - हे प्रभो ! मैंने जो यह व्रत किया है इसका फल मेरे पतिदेव को प्राप्त हो जाए जिससे वह राक्षस योनी से मुक्त हो जाएं । एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने स्वरूप को प्राप्त हुआ। फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करने लगा। उसके बाद वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक में चले गए।
वशिष्ठ ऋषि बोले कि हे राजन ! इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पापों का नाश्ता हो जाता है और राक्षस आदि योनि से भी छूट मिल जाती है । संसार में इसके बराबर कोई दूसरा व्रत नहीं है। कामदा एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
2. कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि ➡️
कमदा एकादशी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:-
1. सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत होकर धुले हुए साफ कपड़े पहनें।
2. मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
3. पूजा से पहले मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
4. अगर आप व्रत करें सकते हैं तो ही व्रत का संकल्प लें। अन्यथा नहीं।
5. भगवान विष्णु का ध्यान करें।
6. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
7. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।
8. विष्णु चालीसा और मंत्रों का जाप करें और श्री हरि विष्णु से जीवन में सुख - शांति के लिए प्रार्थना करें।
9. फिर श्री हरि विष्णु भगवान को भोग लगाकर लोगों में प्रसाद को बांटना चाहिए। फिर घी का दीपक , धूप आदि जलाकर एकादशी की कथा का पाठ पढ़कर आरती करनी चाहिए।
3. कामदा एकादशी व्रत में उच्चारण करें विष्णु चालीसा का➡️
श्री विष्णु चालीसा
॥ दोहा ॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की, चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं, दीजै ज्ञान बताय॥
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान करारी , कष्ट नशावन अखिल बिहारी।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी , त्रिभुव फैल रही उजियारा।
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत।
तन पर पीताम्बर अति सोहत , बैजन्ती माला मन मोहती।। शंख चक्र कर गदा विराजे , देखते दैत्य असुर दल भांजे।
सन्त भक्त सज्जन मनरंजन , दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
वेदन को जब असुर डुबाया , कर प्रबंधन उन्हें ढुंढ़वाया। मोहित बनकर खलहि नचाया , उसकी भस्म कराया।। असुर जलन्धर अति बलदाई , शंकर से उन कीन्ह लड़ाई । हार पार शिव सफल बनाई , कीन सती से छल खल जाई।।
वाराह रूप धरणि जब उठाई, सहसफण शेष सिर पर आई।
मत्स्य रूप सिन्धु में क्रीड़ा ,
4. कमदा एकादशी व्रत में कोन - से मंत्रों का उच्चारण करें ➡️
कमदा एकादशी व्रत मंत्र:-
* "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे कमदा एकादशी के दिन जपने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
अन्य मंत्र:
* "ॐ विष्णवे नमः"
* "ॐ हूं विष्णवे नमः"
* "ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।"
इन मंत्रों का भी जाप किया जा सकता है।
5. कमदा एकादशी व्रत कोन - सी आरती का उच्चारण करें ➡️
कामदा एकादशी की आरती
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद उनकी आरती करनी चाहिए।
यह आरती इस प्रकार है:
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे सुख होई
माया तेरी अगाध है, तारनहार सोई॥
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
तुम हो दीनदयाल, तुम हो दयाधाम
तुम हो पालनहारे, तुम हो निष्काम॥
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
तुम बिन और न कोई, शरण किसकी जाऊँ
तुम ही दाता, तुम ही भोक्ता, तुम ही प्रभु मेरा॥
तुम ही मेरा जीवन, तुम ही मेरा आधार
तुम ही मेरे स्वामी, तुम ही मेरा प्यार॥
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
तुम हो मेरे सब कुछ, मैं हूं तुम्हारा दास
कृपा करो प्रभु जी, बन जाऊँ तुम्हारा खास॥
मैं हूं अपराधी, तुम हो क्षमाशील
क्षमा करो प्रभु जी, मैं हूं अति दीन॥
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
गाऊँ मैं तेरी महिमा, तेरा ही गुणगान
कृपा करो प्रभु जी, बन जाऊँ तुम्हारा ध्यान॥
तुम हो मेरे सब कुछ, मैं हूं तुम्हारा दास
कृपा करो प्रभु जी, बन जाऊँ तुम्हारा खास॥
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
इस आरती को गाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।
6. कमदा एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए ➡️
कामदा एकादशी व्रत साल में एक बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7. कामदा एकादशी व्रत 2025 में कब है ➡️
साल 2025 में कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल 2025, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। यह चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है।
कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त:
* एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2025 को रात 8:00 बजे
* एकादशी तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2025 को रात 9:00 बजे
* पारण का शुभ मुहूर्त: 9 अप्रैल 2025 को सुबह 6:02 बजे से 8:34 बजे तक
8. कमदा एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️
कामदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को करने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:-
1. व्रत का संकल्प: कामदा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. भोजन: एकादशी के दिन निराहार रहना चाहिए। यदि आप निराहार नहीं रह सकते हैं तो फल, दूध या अन्य सात्विक पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
3. पूजा: भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
4. कथा: कामदा एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए।
5. तुलसी: तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए और उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
6. दान: गरीबों को दान देना चाहिए।
7. झूठ और बुरे विचारों से दूर रहें: इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए और बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए।
7. ब्रह्मचर्य: इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
8. क्रोध: क्रोध नहीं करना चाहिए।
9. शारीरिक और मानसिक स्वच्छता: शारीरिक और मानसिक रूप से स्वच्छ रहना चाहिए।
इन सावधानियों का पालन करके आप कामदा एकादशी व्रत को सफलतापूर्वक कर सकते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
9. कमदा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️
कमदा एकादशी व्रत आप निम्न चीजें खा सकते हैं:-
1. फल आप व्रत के दौरान सभी प्रकार के फल खा सकते हैं, जैसे कि सेब, केला, संतरा, अंगूर, आदि।
2. सब्जियां: आप आलू, गाजर, खीरा, ककड़ी, आदि जैसी कुछ सब्जियां खा सकते हैं।
3. सूखे मेवे: आप बादाम, अखरोट, किशमिश, आदि जैसे सूखे मेवे खा सकते हैं।
4. दूध और दूध से बने उत्पाद: आप दूध, दही, पनीर, आदि का सेवन कर सकते हैं।
5. अनाज: कुछ लोग व्रत के दौरान साबूदाना, कुट्टू का आटा, आदि जैसे अनाज खाते हैं।
10. कमदा एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ➡️
कमदा एकादशी व्रत में आपको निम्न चीजें नहीं खानी चाहिए:-
1.अनाज आपको गेहूं, चावल, दालें, आदि जैसे अनाज नहीं खाने चाहिए।
2. मांस, मछली, अंडे: आपको मांस, मछली और अंडे नहीं खाने चाहिए।
3. प्याज और लहसुन: आपको प्याज और लहसुन नहीं खाने चाहिए।
4. मसाले: आपको ज्यादा मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।
5. तले हुए खाद्य पदार्थ: आपको तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
11. कमदा एकादशी व्रत में खानें संबंधित कुछ अन्य बातें ➡️
अन्य महत्वपूर्ण बातें:-
1. आप व्रत के दौरान पानी पी सकते हैं।
2. यदि आप बीमार हैं या कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो व्रत रखने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
3. व्रत का पालन अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार करें।
4.यह भी ध्यान रखें कि कामदा एकादशी व्रत के दौरान कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, यानी वे पानी भी नहीं पीते हैं। हालांकि, यह व्रत बहुत कठिन होता है और इसे केवल स्वस्थ व्यक्ति ही कर सकते हैं। यदि आप निर्जला व्रत नहीं रख सकते हैं, तो आप फलाहार व्रत रख सकते हैं, जिसमें आप ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
12. कमदा एकादशी व्रत रखने के लाभ ➡️
कामदा एकादशी व्रत के अनेक लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं:-
1. पापों से मुक्ति: मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. मनोकामना पूर्ति: यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। जो व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
3. सुख-समृद्धि में वृद्धि: कामदा एकादशी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
4. मानसिक शांति: इस व्रत को करने से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
5. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: कामदा एकादशी का व्रत रखने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह व्रत पाचन तंत्र को सही करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
6. पारिवारिक जीवन में खुशहाली: इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में खुशहाली आती है और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध मधुर होते हैं।
7. आध्यात्मिक उन्नति: कामदा एकादशी का व्रत आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस व्रत को करने से व्यक्ति का मन भगवान विष्णु के प्रति समर्पित होता है और उसे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कामदा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को विधि-विधान से करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
13. कमदा एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करें ➡️
कामदा एकादशी व्रत का उद्यापन करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:-
1. तैयारी:-
1. उद्यापन से एक दिन पहले यानी दशमी के दिन सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
2. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक वेदी बनाएं।
4. वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
5. पूजा सामग्री जैसे फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि एकत्रित करें।
2. पूजा विधि:-
1. भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
2.उन्हें वस्त्र, आभूषण और तिलक अर्पित करें।
3. धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
4.विष्णु मंत्रों का जाप करें।
5. एकादशी व्रत का पाठ करें।
6. आरती करें और भगवान विष्णु को प्रणाम करें।
3. उद्यापन विधि:-
1. द्वादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
2. ब्रह्माणो को भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दें।
3. गरीबों को भी दान दें।
4. व्रत का पारण करें।
4. महत्व:-
1. कामदा एकादशी व्रत का उद्यापन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
2. यह व्रत सभी पापों का नाश करता है और मोक्ष प्रदान करता है।
3. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है।
5.विशेष:-
1. यदि आप उद्यापन करने में असमर्थ हैं तो आप किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।
2. आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार उद्यापन कर सकते हैं।
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✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔