कमला ( पधमिनी ) एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी
👉 अधिक / पुरुषोत्तम मास में आने वाली एकादशी का नाम कमला है। यह एकादशी 2025 में दो बार आ रही है। आश्विन मास तथा अधिकमास या पुरूषोंत मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भिन्नता के कारण परमा एकादशी , अधिकमास एकादशी , पुरुषोंतमी एकादशी या मलमासी एकादशी कहा जाता है।
इस एकादशी का व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त करने बैकुंठ को जाता है , जो मनुष्यों के लिए दुर्लभ है। कमला एकादशी के दिन व्रत रखने से मनुष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। इस आर्टिकल में कमला एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी मिलेगी। कमला एकादशी व्रत की कथा क्या है। कमला एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है। कमला एकादशी का व्रत 2025 में कब करना चाहिए। कमला एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए। कमला एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। कमला एकादशी व्रत में कोन - से मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। कमला एकादशी व्रत में कोन - सी आरती का प्रयोग करना चाहिए। कमला एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए। कमला एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए। कमला एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करना चाहिए आदि की संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
👉 कमला एकादशी की व्रत कथा ➡️
श्री भगवान बोले हे राजन - अधिक मास में शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है। वह कमला ( पधमिनी ) एकादशी कहलाती है। वैसे तो प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती है। जब अधिक मास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है ।
अधिक मास या मलमास को जोड़कर वर्ष में 26 एकादशी होती है। अधिक मास में दो एकादशी होती है ,जो पधमिनी एकादशी ( शुक्ल पक्ष ) और परमा एकादशी ( कृष्ण ) के नाम से जानी जाती है। ऐसा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत की कथा बताई थी।
भगवान कृष्ण बोले - मलमास में अनेक पुण्यों को देने वाली एकादशी का नाम पधमिनी एकादशी है। इसका व्रत करके मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है। जो मनुष्यों के लिए भी दुर्लभ है।
यह एकादशी करने के लिए दशमी के दिन व्रत का आंरभ करके काॅसी के पात्र में जौं - चावल आदि का भोजन करें तथा नमक न खाएं। भूमि पर सोएं और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत्त होकर दन्तधावन करें और जल के बारह कुल्ले करके शुद्ध हो जाए।
सूर्य उदय होने के पूर्व उत्तम तीर्थ में स्नान करने जाए। इसमें गोबर, मिट्टी , तिल तथा कुशा व आँवले के चूर्ण से विधिपूर्वक स्नान करें। श्वेत वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करें।
हे मुनीश्वर ! पूर्वकाल में त्रेता युग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य नाम का राजा माहिष्मती पुरी में राज्य करता था। उस राजा की एक हजार परम प्रिय स्त्रियां थीं, परंतु उनमें से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो उनके राज्य भार को संभाल सकें। देवता , पितृ, सिद्ध तथा अनेक चिकित्सक आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए लेकिन सब असफल रहे। एक दिन राजा को वन में तपस्या के लिए जाते थे उनकी परम प्रिय रानी इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम वाली कन्या राजा के साथ वन जाने को तैयार हो गई। दोनों ने अपने अंग के सब सुंदर वस्त्र और आभूषणों का त्याग कर वल्कल वस्त्र धारण कर गन्धमादन पर्वत पर गए।
राजा ने उस पर्वत पर दस हजार वर्ष तक तप किया परंतु फिर भी पुत्र प्राप्ति नहीं हुई। तब पतिव्रता रानी कमलनयनी पधमिनी से अनुसूया ने कहा - बारह मास से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है जो बत्तीस मास पश्चात आता है। उसमें द्वादशी युक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी। इस व्रत करने से पुत्र देने वाले भगवान तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हें शीघ्र ही पुत्र देंगे।
रानी पद्मिनी ने पुत्र की इच्छा से एकादशी का व्रत किया। वह एकादशी को निराहार रहकर रात्रि जागरण करती। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसी के प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तिवीर्य उत्पन्न हुए। जो बलवान थे और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था। तीनों लोकों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में नहीं था।
सो हे नारद ! जिन मनुष्यों ने मलमास शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत किया है , जो संपूर्ण कथा को पढ़ते या सुनते हैं , वे भी यश के भागी होकर विष्णु को प्राप्त होते हैं।
👉 कमला एकादशी ( पधमिनी ) एकादशी व्रत पूजा विधि ➡️
1. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत होकर दंतधावन करें और जल के 12 कुल्ले शुद्ध हो जाएं
2. सूर्य उदय होने के पूर्व तुम तीर्थ में स्नान करने जाएं।
3. इसमें गोबर मिट्टी , तिल , तथा कुशा व आंवले के चूर्ण से विधिपूर्वक स्थान करें।
4. श्वेत वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा - अर्चना करें।
5. इस दिन कमला, पद्मिनी एकादशी की कथा अवश्य पढ़ना चाहिए तथा ईश्वर का स्मरण करते हुए समय बिताना चाहिए।
👉 कमला एकादशी में पूजा में करें इन मंत्रों का उच्चारण ➡️
1. ऊॅ ह्रीं कार्तविर्थार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान । यस्य स्मरेम मात्रेण ह्रंत नष्टंह च लभ्यते ।। अगर आपका धन लंबे समय से अटका है , कोई कर्ज वापस नहीं लौटा रहा है तो विष्णु जी के इस मंत्र का जप करें। मान्यता है इससे धन की कमी नहीं होती।
2. ऊं अ: अनुरुद्धाय नम: - जिन लोगों के विवाह में विलंब हो रहा है, रिश्ता पक्का होने के बाद भी बात बिगड़ रही है तो अधिकमास में इस मंत्र का रोजाना एक माला जाप करे। मान्यता है इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
3. ऊं आं संकर्षणाय नम: - कार्य बनते बनते बिगड़ रहे हैं तो अधिकमास में 108 बार इस मंत्र का जाप करें। अधिकमास में इस मंत्र का जाप करने से अधुरे कार्य पुरे हो जाते हैं।
4. ऊं अं वासुदेवाय नमः - अधिकमास में इस मंत्र का जाप करने से विष्णु पुराण , भागवत पुराण का श्रवण जितना फल मिलता है।
5. ऊं हूं विष्णवे नम: - मेहनत के बाद भी असफलता मिल रही है तो विष्णु जी का ये मंत्र हर कार्य में सफलता दिलाता है।
👉 कमला एकादशी व्रत में पूजा के समय गाएं जाने वाली आरती ➡️
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा को धारण कर , शक्ति मुक्ति पाता।।
ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता , शास्त्रों में वरनी ।।
ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना , विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा , मुक्तिदाता बन गई।।
ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ॥
ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै , विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल पक्ष में नाम कामदा , धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी , अपरा ज्येष्ठ कृष्णापक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो , शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्विन कृष्णापक्ष में , व्रत से भवसागर निकला।।
ऊॅ जय एकादशी।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी ।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मांस में कंरू विनती पार करों नैया।।
ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल पक्ष में होय पधनिमी दुख दारिद्र हरनी।।
ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की , भक्ति सहित गावै ।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा , निश्चित वह पावै ।।
ॐ जय एकादशी…॥
👉 कमला एकादशी व्रत के लाभ क्या हैं ➡️
कमला एकादशी व्रत के अनेक लाभ बताए गए हैं। यह व्रत अधिक मास में आता है और इसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
1. पद्म पुराण के अनुसार , कमला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है।
2. इस व्रत के प्रभाव से मां लक्ष्मी की कृपा परिवार पर बनी रहती है और सुख समृद्धि का आशीष मिलता है।
3. कमला एकादशी का व्रत करने वाले को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
4.इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
5. यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी बहुत उत्तम माना गया है।
इस प्रकार, कमला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
👉 कमला एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️
कमला एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए, इसके बारे में यहां जानकारी दी गई है:
1. दशमी के दिन: कमला एकादशी का व्रत दशमी के दिन से ही शुरू हो जाता है। इस दिन कांसे के बर्तन में जौ और चावल आदि खाना चाहिए। इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए।
2. एकादशी के दिन: एकादशी के दिन निराहार रहना चाहिए। पूरे दिन फलाहार का सेवन कर सकते हैं।
3. द्वादशी के दिन: द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें। इस दिन आप सामान्य भोजन कर सकते हैं, लेकिन सात्विक भोजन करना चाहिए।
4.इस प्रकार, कमला एकादशी व्रत में दशमी के दिन जौ-चावल, एकादशी के दिन फलाहार और द्वादशी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए।
👉 कमला एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य पूजा के लिए तांबे की थाली और तांबे का लोटा लें। किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां से सूर्य देव आसानी दिख रहे हैं।
2. लोटे में साफ जल भरें और थाली में लाल चंदन, लाल फूल, चावल, प्रसाद के लिए गुड़ और अन्य पूजन सामग्री रखें। एक दीपक रखें।
3. लोटे में जल के साथ एक चुटकी लाल चंदन पाउडर मिला लें। लोटे में लाल फूल भी डाल लें। थाली में दीपक जलाएं और लोटा रख लें। थाली नीचे जमीन पर रखें।
4. इसके बाद ऊं सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को प्रणाम करें।
5. लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जाप करते रहें। इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अर्घ्य देना कहलाता है।
6. अर्घ समर्पित करते समय लोटे से गिरने वाली जल की धारा से सूर्य को देखें।
7. ऊं सूर्याय नमः अर्घ्यं समर्पयामि कहते हुए पूरा जल सूर्यदेव को चढ़ाएं।
8. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की आरती करें। गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं।
9. सूर्य का ध्यान करते हुए सात प्रदक्षिणा करें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
10. पूजा के बाद गुड़ का प्रसाद घर के लोगों में वितरित करें।
👉 कमला एकादशी का व्रत 2025 कब शुरू करना चाहिए ➡️
2025 में दो बार लगेगा मलमास
2025 में पहले लगने वाली मलमास ( कमला एकादशी ) 14 जनवरी तक रहेगा। जबकि , दूसरा मलमास तब लगेगा जब सूर्य द्वारा मीन राशि में प्रवेश किया जाएगा। वैदिक शास्त्रों के अनुसार 14। मार्च 2025 को मीन राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे , इसके साथ ही मलमास की शुरुआत हो जाएगी।
2025 में लगने वाला मलमास कब होगा समाप्त?
👉 कमला एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ➡️
👉 कमला एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करें ➡️
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✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔