सफला एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी
👉 सफला एकादशी पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार 'पौष' महीने के कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का क्षीण चरण) की 'एकादशी' (11वें दिन) को मनाया जाने वाला एक शुभ व्रत दिवस है। इस एकादशी को 'पौष कृष्ण एकादशी' भी कहा जाता है। अगर आप ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन करते हैं, तो यह दिसंबर से जनवरी के महीनों के बीच मनाया जाता है। सफला एकादशी का दिन हिंदुओं के लिए पवित्र है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ईमानदारी से उपवास करने से भक्त अपने पापों को धो सकते हैं और आनंदमय जीवन का आनंद भी ले सकते हैं। एकादशी एक पूजनीय दिन है जो हर चंद्र हिंदू महीने में दो बार आता है और यह इस ब्रह्मांड के संरक्षक की पूजा करने के लिए समर्पित दिन है, जो कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु हैं।
हिंदी में 'सफला' शब्द का अर्थ है 'समृद्ध होना' और इसलिए इस एकादशी का पालन उन सभी लोगों को करना चाहिए जो जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और खुशी चाहते हैं। इसलिए सफला एकादशी प्रचुरता, सफलता, समृद्धि और भाग्य के द्वार खोलने का एक साधन है। इसे देश के सभी कोनों में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के मंदिरों में बड़े आयोजन किए जाते हैं क्योंकि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं। इस आर्टिकल में सफला एकादशी की संपूर्ण जानकारी मिलेगी। सफला एकादशी व्रत की कथा क्या है। सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है। सफला एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए। सफला एकादशी व्रत 2025 कब है। सफला एकादशी में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। सफला एकादशी में पूजा के दौरान कोन - से मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। सफला एकादशी व्रत में पूजा के दौरान कोन - सी आरती करनी चाहिए। सफला एकादशी में क्या खाना चाहिए। सफला एकादशी क्या नहीं खाना चाहिए। सफला एकादशी व्रत रखने के क्या लाभ होते हैं। सफला एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करें आदि की संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
1.सफला एकादशी व्रत की कथा क्या है ➡️
महाराज युधिष्ठिर ने पूछा - हे जनार्दन ! पौष कृष्ण एकादशी का क्या नाम है ? उस दिन कौन - से देवता की पूजा की जाती है और उसकी क्या विधि है ? कृपया मुझे बताएं।
इस एकादशी का नाम सफला एकादशी है । इस एकादशी के देवता श्री नारायण है। विधि पूर्वक इस व्रत को करना चाहिए। जिस प्रकार नागों में शेषनाग , पक्षियों में गरुड़ , सब ग्रहों में चंद्रमा, यज्ञों में अश्वमेध और देवताओं में भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी तरह सब व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है। जो मनुष्य सदैव एकादशी का व्रत करते हैं, वे मुझे परम प्रिय हैं। अब इस व्रत की विधि कहता हूं।
मेरी पूजा के लिए ऋतु के अनुसार फल , नारियल , नींबू , नैवेद्य आदि सोलह वस्तूओं का संग्रह करें । इस सामग्री से मेरी पूजा करने के बाद रात्री जागरण करें । इस एकादशी के व्रत के समान यज्ञ , तीर्थ , दान , तप तथा और कोई दूसरा व्रत नहीं है । पाॅच हजार वर्ष तप करने से जो फल मिलता है , उससे भी अधिक सफला एकादशी व्रत करने से मिलता है। हे राजन ! अब आप एकादशी व्रत की कथा सुनिए।
अंत में उसने चोरी करने का निश्चित किया। दिन में वह वन में रहता और रात्रि को अपने पिता की नगरी में चोरी करता तथा प्रजा तंग करने और उन्हें मारने का कुकर्म करता। कुछ समय के बाद सारी नगरी भयभीत हो गई। वह वन रहकर पशु आदि को मारकर खाने लगा। नागरिक और राज्य के कर्मचारी उसे पकड़ लेते किंतु राजा के भय से छोड़ देते।
2.सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है ➡️
सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:-
1. प्रातः काल:-
1. ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
2. साफ वस्त्र धारण करें।
3. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को पीले वस्त्र अर्पित करें।
2. पूजा सामग्री:-
1. धूप, दीप, चंदन, पुष्प, फल, तुलसी पत्र और नैवेद्य (भोग) तैयार करें।
3. पूजन विधि:-
1. भगवान श्री विष्णु को नारियल, सुपारी, अनार, आंवला और लौंग अर्पित करें।
2.भगवान श्री विष्णु की आरती करें।
3. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
4. व्रत कथा:-
1. सफला एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
5. विशेष:-
1. इस दिन तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाएं।
यह पूजा विधि सफला एकादशी व्रत को सफलतापूर्वक संपन्न करने में मदद करेगी।
3.सफला एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए ➡️
अ सफला एकादशी का व्रत एक बार ही रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए होता है। सफला एकादशी का व्रत खासतौर पर माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन उपवास रखकर भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है ताकि मनुष्य अपने जीवन में समृद्धि, सुख और मुक्ति प्राप्त कर सके।
यह व्रत एक दिन का होता है, जिसमें संपूर्ण दिन उपवास रहकर रात में भगवान की पूजा की जाती है। व्रति को इस दिन विशेष रूप से फलाहार का सेवन करने की अनुमति होती है, यदि वह कठिन उपवास नहीं कर सकते।
4.सफला एकादशी व्रत 2025 कब है ➡️
अ सफला एकादशी, जो भगवान विष्णु को समर्पित है, 2025 में 15 दिसंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। व्रत का पारण 16 दिसंबर को सुबह 7:07 बजे से 9:11 बजे के बीच किया जाएगा।
5.सफला एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️
सफला एकादशी व्रत में कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि व्रत का संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। यहां कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां दी गई हैं:-
1.सात्विक भोजन अपनाएं
1.एकादशी के दिन चावल, गेहूं और मसालेदार भोजन से परहेज करें।
2.बिना लहसुन-प्याज के बना सात्विक भोजन करें।
3. फलाहार, दूध, मखाने, साबुदाना, और सूखे मेवे का सेवन कर सकते हैं।
2.व्रत के नियमों का पालन करें
1. सूर्य उदय से पहले स्नान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लें।
2.पूरे दिन भगवान विष्णु की भक्ति में मन लगाएं और कथा का पाठ करें।
3.रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।
4. क्रोध और नकारात्मकता से बचें
5.व्रत के दौरान मन और वाणी को शांत रखें।
6.किसी से झगड़ा न करें, कटु वचन न बोलें।
7.मन में शुद्धता और भक्ति भाव बनाए रखें।
8.परहेज और अनुशासन का पालन करें
9. तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन) का सेवन न करें।
10.ब्रह्मचर्य का पालन करें और बुरी संगति से बचें।
11.झूठ बोलने और चोरी करने जैसे पापों से बचें।
12. जरूरतमंदों की सेवा करें
13. व्रत के दौरान दान-पुण्य करें, जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान दें।
14. गौ माता की सेवा करें और किसी को कष्ट न पहुँचाएँ।
15. पारण विधि का सही तरीके से पालन करें
16.द्वादशी तिथि पर ही व्रत का पारण करें।
17. पारण के समय तुलसी पत्ता और जल लेकर भगवान का स्मरण करें।
18.जरूरतमंदों को भोजन कराकर व्रत पूर्ण करें।
19.यदि कोई व्यक्ति व्रत में पूर्ण उपवास नहीं रख सकता, तो वह फलाहार करके भी व्रत कर सकता है। मुख्य रूप से व्रत का उद्देश्य आत्मशुद्धि और भगवान की भक्ति करना होता है।
इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
6.सफला एकादशी व्रत में पूजा के दौरान कोन - मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए ➡️
अ सफला एकादशी व्रत के दौरान पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाता है:
1. श्री विष्णु मंत्र
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
2. एकादशी व्रत मंत्र
"एकादश्यां निराहारो यस्तु विष्णुं समर्चयेत्।
सर्वपापविनिर्मुक्तः परं ब्रह्माधिगच्छति॥"
3. श्री हरि मंत्र
"ॐ विष्णवे नमः"
4. भगवद्गीता श्लोक (अध्याय 9, श्लोक 22)
"अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥"
5. श्री लक्ष्मी-नारायण मंत्र
"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी-नारायणाय नमः"
6. एकादशी मह
7.सफला एकादशी में व्रत के दौरान कोन - सी आरती करनी चाहिए ➡️
अ ॐ जय जगदीश हरे(भगवान विष्णु की आरती)
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावे फल पावे
स्वामी जो ध्यावे फल पावे।
दुख विनसे मन का,
सुख संपत्ति घर आवे॥
मात-पिता तुम मेरे
स्वामी मात-पिता तुम मेरे।
शरण गहूं मैं किसकी,
तुम बिन और न दूजा॥
तुम पूरण परमात्मा
स्वामी तुम पूरण परमात्मा।
सबके प्राणपति,
कर्म प्रभाव प्रकाशक ॥
दीन बंधु दुख हर्ता
स्वामी दीन बंधु दुख हर्ता।
तुम रखो शरण अपनी,
हे कृपा निधि कर्ता॥
विश्वनाथ जगन्नाथ
विश्वनाथ जगन्नाथ।
करुणा रूप कृपाधाम,
नाथ चरण शरण दे॥
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥
आरती समाप्ति पर श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु को नमन करें।
8.सफला एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️
अ सफला एकादशी के व्रत में सात्विक और हल्का भोजन करना चाहिए। यहां कुछ चीज़ें हैं जो इस व्रत के दौरान खाई जा सकती हैं:-
1. फल एवं मेवे:-
केला, सेब, संतरा, अंगूर, अनार आदि
नारियल, खजूर, किशमिश, बादाम, अखरोट
2. दूध एवं दूध से बने पदार्थ:-
दूध, दही, छाछ, पनीर
मखाने की खीर, साबुदाना खिचड़ी
3. उपवास अनाज:-
समा के चावल (व्रत का चावल)
कुट्टू या सिंघाड़े का आटा (इनसे पराठा या पकौड़े बनाए जा सकते हैं)
साबुदाना (साबुदाना खिचड़ी, साबुदाना वड़ा)
4. सब्जियां :-
आलू , शकरकंद, अरबी
कद्दू , लौकी
5. पेय पदार्थ:-
नारियल पानी
नींबू पानी
फल जूस
9.सफला एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ➡️
सफला एकादशी व्रत के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित होता है। व्रत के नियमों का पालन करने के लिए निम्नलिखित चीजों को नहीं खाना चाहिए:-
1. अनाज और दालें
चावल, गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का
सभी प्रकार की दालें (अरहर, मूंग, मसूर, चना आदि)
2. तामसिक भोजन
लहसुन और प्याज
मांस, मछली, अंडा
शराब और तंबाकू
3. तली-भुनी और मसालेदार चीजें
अधिक तेल, मिर्च और मसाले वाले भोजन से बचें
4. अधिक नमक और मिर्च
व्रत में सेंधा नमक का ही प्रयोग करें, सामान्य नमक वर्जित होता है
5. ब्रह्म मुहूर्त के बाद भोजन
अगर आप निर्जला व्रत कर रहे हैं, तो सूर्योदय के बाद जल भी न लें
सफला एकादशी व्रत में पवित्रता और संयम का पालन करना महत्वपूर्ण होता है, जिससे मन और शरीर दोनों शुद्ध रहते हैं।
10.सफला एकादशी व्रत रखने के क्या लाभ है ➡️
सफला एकादशी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है। इसे करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:-
1. पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति
सफला एकादशी व्रत करने से व्यक्ति अपने पूर्व जन्म और इस जन्म के पापों से मुक्त हो सकता है और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
2. सुख-समृद्धि और सफलता
इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जो अपने कार्यों में सफलता पाना चाहते हैं।
3. मानसिक और आत्मिक शांति
सफला एकादशी व्रत व्यक्ति के मन को शुद्ध करता है, जिससे वह मानसिक तनाव से मुक्त होकर अधिक आत्मिक संतोष प्राप्त करता है।
4. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
5. दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
सफला एकादशी का व्रत व्यक्ति के जीवन से दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और शुभ अवसरों को आकर्षित करता है।
6. स्वास्थ्य लाभ
उपवास करने से शरीर की पाचन शक्ति बढ़ती है और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
7. अच्छे कर्मों का संचित फल
इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अपने जीवन में अच्छे कर्मों का लाभ मिलता है और उसका भविष्य उज्जवल होता है।
8. पारिवारिक सुख और शांति
यदि परिवार का कोई भी सदस्य इस व्रत को करता है, तो पूरे परिवार को इसका पुण्य लाभ मिलता है और पारिवारिक जीवन सुखमय होता है।
9. इच्छाओं की पूर्ति
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से सफला एकादशी का व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
10. पुनर्जन्म में उत्तम जीवन
इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अगले जन्म में भी उत्तम जीवन प्राप्त होता है और वह ईश्वर के अधिक निकट आता है।
11.सफला एकादशी के व्रतों का उद्यापन कैसे करना चाहिए ➡️
सफला एकादशी व्रत का उद्यापन (समापन) करने के लिए विशेष विधि होती है, जिसे श्रद्धा और नियमों के अनुसार करना आवश्यक होता है। उद्यापन का अर्थ है व्रत का विधिपूर्वक समापन करना, ताकि उसका पूर्ण फल प्राप्त हो। नीचे उद्यापन की पूरी प्रक्रिया दी गई है:-
सफला एकादशी व्रत उद्यापन विधि
1. संकल्प लेना
उद्यापन से एक दिन पहले (दशमी तिथि को) संकल्प लें कि " मैं सफला एकादशी व्रत का उद्यापन विधिपूर्वक करूंगा , करूंगी। "
व्रती को सात्विक आहार लेना चाहिए और मन को शुद्ध रखना चाहिए।
2. एकादशी व्रत का पालन
एकादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करें।
पूरे दिन व्रत का पालन करें और भगवद् भजन-कीर्तन करें।
रात में जागरण (जागरण संभव न हो तो अधिक से अधिक समय भगवान के ध्यान में लगाएं)।
3. द्वादशी के दिन उद्यापन
द्वादशी तिथि को सूर्योदय से पहले स्नान करें।
व्रत का विधिवत समापन करने के लिए भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें।
धूप, दीप, पुष्प, चंदन, पंचामृत, तुलसी-दल और नैवेद्य (मिठाई, फल) अर्पित करें।
सफला एकादशी की कथा का पाठ ़ ध्यानपूर्वक करना चाहिए।
4. ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं
व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए 5, 7, या 11 ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
वस्त्र, फल, मिठाई, दक्षिणा, और जरूरतमंदों को दान दें।
गौ-सेवा या किसी गरीब व्यक्ति की सहायता करना शुभ माना जाता है।
5. स्वयं पारण करें
जब ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन करा दिया जाए, तब स्वयं व्रत खोलें।
तुलसी जल या फलाहार से पारण करें और फिर सात्विक भोजन करें।
महत्व और लाभ
सफला एकादशी के व्रतों का उद्यापन करने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
भगवान श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पापों का नाश होता है और जीवन में सफलता मिलती है।
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