https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1494766442523857 एक लेख बीना दास पर

एक लेख बीना दास पर

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एक लेख बीना दास पर

 
        

         बीना दास 


 

👉 भारत को आजाद कराने में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी बढ़ - चढ़कर भाग लिया। भारत की महिलाएं बहुत ही बहादुर , साहसी , निडर है। भारत की आजादी की लड़ाई में अनेक महिलाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। उन्हीं में से एक थी बीना दास , जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना अहम योगदान दिया। तो चलिए थोड़ी  - सी चर्चा बीना दास के जीवन पर करते हैं।      

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जन्म :


24 अगस्त, 1911 ई., कृष्णानगर, बंगाल


स्वर्गवास :


26 दिसम्बर, 1986, ऋषिकेश, उत्तराखण्ड


उपलब्धियां :


1946 से 1951 तक बीना दास बंगाल विधान सभा की सदस्य रही थीं। गांधी जी की नौआखाली यात्रा के समय लोगों के पुनर्वास के काम में बीना ने भी आगे बढ़कर हिस्सा लिया था। बीना दास भारत की महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। इनका रुझान प्रारम्भ से ही सार्वजनिक कार्यों की ओर रहा था। पुण्याश्रम संस्था की स्थापना इन्होंने की थी, जो निराश्रित महिलाओं को आश्रय प्रदान करती थी। बीना दास का सम्पर्क युगांतर दल के क्रांतिकारियों से हो गया था।


एक दीक्षांत समारोह में इन्होंने अंग्रेज़ गवर्नर स्टनली जैक्सन पर गोली चलाई, लेकिन इस कार्य में गवर्नर बाल-बाल बच गया और बीना गिरफ़्तार कर ली गईं। 1937 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कई राजबंदियों के साथ बीना दास को भी रिहा कर दिया गया। क्रांतिकारी गतिविधि:कलकत्ता के बैथुन कॉलेज में पढ़ते हुए 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय बीना ने कक्षा की कुछ अन्य छात्राओं के साथ अपने कॉलेज के फाटक पर धरना दिया। वे स्वयं सेवक के रूप में कांग्रेस अधिवेशन में भी सम्मिलित हुईं। इसके बाद वे युगांतर दल के क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आईं। 


उन दिनों क्रान्तिकारियों का एक काम बड़े अंग्रेज़ अधिकारियों को गोली का निशाना बनाकर यह दिखाना था कि भारत के निवासी उनसे कितनी नफरत करते हैं। 6 फ़रवरी, 1932 ई. को बंगाल के गवर्नर स्टेनली जैक्सन को विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में उपाधियाँ बाँटनी थीं। बीना दास को बी.ए. की परीक्षा पूरी करके दीक्षांत समारोह में अपनी डिग्री लेनी थी। 


उन्होंने अपने साथियों से परामर्श करके तय किया कि डिग्री लेते समय वे दीक्षांत भाषण देने वाले बंगाल के गवर्नर स्टेनली जैक्सन को अपनी गोली का निशाना बनाएंगी।गिरफ़्तारी:6 जनवरी, 1932 को दीक्षांत समारोह में जैसे ही गवर्नर ने भाषण देने प्रारम्भ किया, बीना दास अपनी सीट पर से उठीं और तेजी से गवर्नर के सामने जाकर रिवाल्वर से गोली चला दी। उन्हें अपनी ओर आता हुआ देखकर गवर्नर थोड़ा-सा असहज होकर यहाँ-वहाँ हिला, जिससे निशाना चूक गया और वह बच गया। बीना दास को वहीं पर पकड़ लिया गया। 


उन पर मुकदमा चलाया गया, जिसकी सारी कार्यवाई एक ही दिन में पूरी करके बीना को नौ वर्ष की कड़ी क़ैद की सज़ा दे दी गई। अपने अन्य साथियों के नाम बताने के लिए पुलिस ने उन्हें बहुत सताया, लेकिन बीना ने मुंह नहीं खोला।रिहाई:1937 में प्रान्तों में कांग्रेस सरकार बनने के बाद अन्य राजबंदियों के साथ बीना भी जेल से बाहर आईं। 


भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्हें तीन वर्ष के लिये नज़रबन्द कर लिया गया था। 1946 से 1951 तक वे बंगाल विधान सभा की सदस्य रहीं। गांधी जीकी नौआखाली यात्रा के समय लोगों के पुनर्वास के काम में बीना ने भी आगे बढ़कर हिस्सा लिया था।देहावसान:देश को आज़ादी दिलाने वाली और वीर क्रांतिकारियों में गिनी जाने वाली बीना दास का 26 दिसम्बर, 1986 ई. में ऋषिकेश में देहावसान हुआ। 


                        ✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔 

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