
👉 इस आर्टिकल की मदद से मोक्षदा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश करेंगे। मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से भगवान श्री विष्णु प्रसन्न होते हैं। मोक्षदा एकादशी व्रत में भगवान दामोदर की पूजा की जाती है। दामोदर भगवान श्री कृष्ण का नाम है और भगवान श्री कृष्ण , विष्णु भगवान के अवतार माने जाते हैं। तो मोक्षदा एकादशी व्रत में भगवान कृष्ण या विष्णु की पूजा करें। भगवान कृष्ण के दामोदर नाम क्यों पड़ा इस की वजह और उनके इस नाम का कार्तिक के महीने से एक बेहद खास संबंध है। 'दाम' रस्सी को कहते हैं और उदर का अर्थ होता है पेट। कार्तिक के महीने में माता यशोदा ने गोपियों की शिकायत पर बाल गोपाल के उदर पर रस्सी बांधकर ऊखल से बांधा था.... यही से उनका नाम दामोदर पड़ा। 1दिसम्बर 2025 को मोक्षदा एकादशी व्रत है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस व्रत का पुण्य पितरों को दान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत कथा ➡️
गोकुल नाम के नगर में बैखानस नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। वह राजा अपनी प्रजा का पुत्रवत पालन करता था। एक बार रात्रि में राजा ने एक स्वप्न देखा कि उसके पिता नरक में हैं। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।
प्रात: वह विद्वान ब्राह्मणों के पास गया और अपना स्वप्न सुनाया। कहा- मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट उठाते देखा है। उन्होंने मुझसे कहा कि हे पुत्र मैं नरक में पड़ा हूं। यहां से तुम मुझे मुक्त कराओ। जब से मैंने ये वचन सुने हैं तब से मैं बहुत बेचैन हूं। चित्त में बड़ी अशांति हो रही है। मुझे इस राज्य, धन, पुत्र, स्त्री, हाथी, घोड़े आदि में कुछ भी सुख प्रतीत नहीं होता। क्या करूं।
राजा ने कहा- हे ब्राह्मण देवताओं! इस दु:ख के कारण मेरा सारा शरीर जल रहा है। अब आप कृपा करके कोई तप, दान, व्रत आदि ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। उस पुत्र का जीवन व्यर्थ है जो अपने माता-पिता का उद्धार न कर सके। एक उत्तम पुत्र जो अपने माता-पिता तथा पूर्वजों का उद्धार करता है, वह हजार मुर्ख पुत्रों से अच्छा है। जैसे एक चंद्रमा सारे जगत में प्रकाश कर देता है, परंतु हजारों तारे नहीं कर सकते। ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। आपकी समस्या का हल वे जरूर करेंगे।
ऐसा सुनकर राजा मुनि के आश्रम पर गया। उस आश्रम में अनेक शांत चित्त योगी और मुनि तपस्या कर रहे थे। उसी जगह पर्वत मुनि बैठे थे। राजा ने मुनि को साष्टांग दंडवत किया। मुनि ने राजा से सांगोपांग कुशल पूछी। राजा ने कहा कि महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल हैं, लेकिन अकस्मात मेरे च्तिं में अत्यंत अशांति होने लगी है। ऐसा सुनकर पर्वत मुनि ने आंखें बंद की और भूत विचारने लगे। फिर बोले हे राजन! मैंने योग के बल से तुम्हारे पिता के कुकर्मों को जान लिया है। उन्होंने पूर्व जन्म में कामातुर होकर एक पत्नी को रति दी किंतु सौत के कहने पर दूसरे पत्नी को ऋतुदान मांगने पर भी नहीं दिया। उसी पाप कर्म के कारण तुम्हारे पिता को नर्क में जाना पड़ा।
तब राजा ने कहा इसका कोई उपाय बताइए। मुनि बोले- हे राजन! आप मार्गशीर्ष एकादशी का उपवास करें और उस उपवास के पुण्य को अपने पिता को संकल्प कर दें। इसके प्रभाव से आपके पिता की अवश्य नर्क से मुक्ति होगी। मुनि के ये वचन सुनकर राजा महल में आया और मुनि के कहने अनुसार कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। इसके उपवास का पुण्य उसने पिता को अर्पण कर दिया। इसके प्रभाव से उसके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग में जाते हुए वे पुत्र से कहने लगे- हे पुत्र तेरा कल्याण हो। यह कहकर स्वर्ग चले गए।
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है। इस कथा को पढ़ने या सुनने से श्रौतय यज्ञ का फल मिलता है। यह व्रत मोक्ष देने वाला तथा चिंतामणि के समान सब कामनाएं पूर्ण करने वाला है।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजा विधि ➡️
मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें।
स्वच्छ वस्त्र धारण करके मंदिर की साफ-सफाई कर लें और मंदिर को गंगाजल से पवित्र कर लें।
उसके बाद लकड़ी की चौकी लें और उस पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित कर लें। आप चाहें तो भगवान कृष्ण की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और इस दिन भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल अवश्य अर्पित करें।
भगवान विष्णु की पूजा करें और मोक्षदा की व्रत कथा का पाठ करें। साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ भी करें।
सबसे आखिर में भगवान की आरती करके भोग लगाएं और प्रार्थना करें।
अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें और जरूरतमंद लोगों के बीच में दान पुण्य करें।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत का कब करें 2025 में ➡️
मोक्षदा एकादशी सोमवार 1 दिसंबर 2025 को
2 दिसम्बर को, पारण (व्रत खोलने का) समय - 06:57 AM से 10:26 AM
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 30 नवम्बर 2025 को 09:29 PM बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 1 दिसम्बर 2025 को 07:01 PM बजे
👉 मोक्षदा एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए ➡️
माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में बस 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम क्या है ➡️
1. मोक्षदा एकादशी प्रारंभ होने के समय व्रत करने का संकल्प लिया जाता है।
2. संकल्प के बाद श्रीहरि विष्णु के पुनर अवतार श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
3. पूजा के बाद गीता पाठ किया जाता है।
व्रत में फलाहार ले सकते हैं।
4. अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है।
5. मोक्षदा एकादशी के एक दिन पूर्व से ही यानी दशमी से ही तामसिक भोजन का त्याग करें।
6. मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस के दिन मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाता है। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
7. भगवान सूर्यदेव की उपासना करें।
8. ब्रह्मचर्य रहकर एकादशी व्रत रखें।
9. गीता जयंती या मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्री विष्णु का स्मरण और ध्यान करके दिन की शुरुआत करें।
10. इसके बाद नित्य कर्म से निवृत्त होकर पानी में गंगाजल मिलाकर 'ॐ गंगे' का मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान-ध्यान करें।
11. स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके भगवान श्री विष्णु का पीले पुष्प, पीले फल, धूप, दीप, आदि चीजों से पूजन करें।
12. श्री विष्णु पूजन के लिए ऋतु फल, नारियल, नीबू, नैवेद्य आदि सामग्री से श्री विष्णु की पूजा करें।
आरती करके पूजन संपन्न करें।
13. गीता पाठ का अध्याय पढ़ें और एकादशी की व्रतकथा का वाचन करें।
14. मंत्र : ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमो नारायण या ॐ श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः का अधिक से अधिक जाप करें।
15. सायंकाल पूजन-आरती के पश्चात प्रार्थना करके फलाहार करें।
16. इस व्रत में एक बार जल और एक फल ग्रहण कर सकते हैं।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत के लाभ क्या हैं ➡️
मोक्षदा एकादशी व्रत के लाभ:-
1. मोक्षदा एकादशी के दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है।
2. पापों से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख-शांति आती है।
3. मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से भगवान श्री हरि विष्णु मोक्ष देते हैं।
4. मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से पितरों के निमित्त तर्पण करने से उन्हें भी परम धाम का वास प्राप्त होता है।
5. मोक्षदा एकादशी के दिन गीता पाठ पढ़ें तथा उनके उपदेशों को जीवन में उतारने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत के दिन आरती ➡️
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्न विश्व तारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफलता नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै । ॐ ।।
इन्द्र आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापा कुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हर नहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुख नाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दरिद्रता
हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गाव।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पाव ।। ॐ । ।
👉 एकादशी व्रत में भगवान विष्णु जी स्पेशल आरती ➡️
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत पर विष्णु चालीसा ➡️
दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।
चौपाई :
नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत पूजा के दौरान उपयोग किए जाने वाले घरेलू मंत्र ➡️
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि । ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।
ॐ अं वासुदेवाय नम:।। ॐ आं संकर्षणाय नम:।। ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।। ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।। ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️
मोक्षदा एकादशी व्रत पर व्रती दूध, दही, फल, शरबत, साबुदाना, बादाम, नारियल, शकरकंद, आलू, मिर्च सेंधा नमक, राजगीर का आटा आदि चीजों को खा सकते हैं।
👉 मोक्षदा एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ➡️
मोक्षदा एकादशी के दिन को अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही, तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। चावल और साधारण नमक (सेंधा नमक को छोड़कर) का सेवन वर्जित है।
नोट इस आर्टिकल में निहित किसी भी जानकारी ,सामग्री , गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों , ज्योतिषियों ,पंचांग , प्रवचनों , मान्यताओं , धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔