https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1494766442523857 पद्मा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी

पद्मा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी

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पद्मा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी

                  पद्मा एकादशी 



👉 अगर आप भी पद्मा एकादशी का व्रत रखने की सोच रहे हैं तो आपको पद्मा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी प्रदान करने की कोशिश करेंगे। इस आर्टिकल में पद्मा एकादशी के बारे में बताते इस दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की अति कृपा होती है। पद्मा एकादशी व्रत की कथा क्या है। पद्मा एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है। पद्मा एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। पद्मा एकादशी व्रत में पूजा के समय किन मंत्रों का उच्चारण करें। पद्मा एकादशी व्रत में पूजा करते समय कोन - सी आरती करें। पद्मा एकादशी व्रत कब शुरू करें 2025 में। पद्मा एकादशी व्रत के क्या लाभ है। पद्मा एकादशी में क्या खाना चाहिए। पद्मा एकादशी में क्या नहीं खाना चाहिए आदि की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। 


हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व होता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखा जाता है।


इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से अपार धन संपदा का लाभ प्राप्त होता है। कहते हैं अगर इस व्रत का लाभ उठाना हैं, तो इस व्रत में खानपान से जुडे नियमों का अवहेलना नहीं करनी चाह‍िए। आइए जानते हैं क‍ि परिवर्तिनी एकादशी के व्रत के दौरान क्‍या चीजें ,खानी चाह‍िए और क्‍या नहीं? ताक‍ि आपको व्रत का पूरा लाभ मिल सकें।


परमा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी जाने के लिए यहां क्लिक करें 


👉 पद्मा एकादशी व्रत कथा  ➡️ 


 सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा हुआ है, जो सत्यवादी और महान प्रतापी था। वह अपनी प्रजा का पुत्र की भाँति पालन किया करता था। उसकी सारी प्रजा धनधान्य से भरपूर और सुखी थी। उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था।

एक समय उस राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और अकाल पड़ गया। प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यंत दु:खी हो गई। अन्न के न होने से राज्य में यज्ञादि भी बंद हो गए। एक दिन प्रजा राजा के पास जाकर कहने लगी कि हे राजा! सारी प्रजा त्राहि-त्राहि पुकार रही है। क्योंकि समस्त विश्व की सृष्टि का कारण वर्षा है।

वर्षा के अभाव से अकाल पड़ गया है और अकाल से प्रजा मर रही है। इसलिए हे राजन! कोई ऐसा उपाय बताअओ जिससे प्रजा का कष्ट दूर हो। राजा मांधाता कहने लगे कि आप लोग ठीक कह रहे हैं, वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है और आप लोग वर्षा न होने से अत्यंत दु:खी हो गए हैं। मैं आप लोगों के दु:खों को समझता हूँ। ऐसा कहकर राजा कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल दिया। वह अनेक ऋषियों के आश्रम में भ्रमण करता हुआ अंत में ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुँचा। वहाँ राजा ने घोड़े से उतरकर अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया।

मुनि ने राजा को आशीर्वाद देकर कुशलक्षेम के पश्चात उनसे आश्रम में आने का कारण पूछा। राजना ने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा कि हे भगवन! सब प्रकार से धर्म पालन करने पर भी मेरे राज्य में अकाल पड़ गया है। इससे प्रजा अत्यंत दु:खी है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा है। जब मैं धर्मानुसार राज्य करता हूँ तो मेरे राज्य में अकाल कैसे पड़ गया? इसके कारण का पता मुझको अभी तक नहीं चल सका।

अब मैं आपके पास इसी संदेह को निवृत्त कराने के लिए आया हूँ। कृपा करके मेरे इस संदेह को दूर कीजिए। साथ ही प्रजा के कष्ट को दूर करने का कोई उपाय बताइए। इतनी बात सुनकर ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यह सतयुग सब युगों में उत्तम है। इसमें धर्म को चारों चरण सम्मिलित हैं अर्थात इस युग में धर्म की सबसे अधिक उन्नति है। लोग ब्रह्म की उपासना करते हैं और केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है। ब्राह्मण ही तपस्या करने का अधिकार रख सकते हैं, परंतु आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है।

इसलिए यदि आप प्रजा का भला चाहते हो तो उस शूद्र का वध कर दो। इस पर राजा कहने लगा कि महाराज मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को किस तरह मार सकता हूँ। आप इस दोष से छूटने का कोई दूसरा उपाय बताइए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो सुनो।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पद्मा नाम की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो। व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा सुख प्राप्त करेगी क्योंकि इस एकादशी का व्रत सब सिद्धियों को देने वाला है और समस्त उपद्रवों को नाश करने वाला है। इस एकादशी का व्रत तुम प्रजा, सेवक तथा मंत्रियों सहित करो।

मुनि के इस वचन को सुनकर राजा अपने नगर को वापस आया और उसने विधिपूर्वक पद्मा एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई और प्रजा को सुख पहुँचा। अत: इस मास की एकादशी का व्रत सब मनुष्यों को करना चाहिए। यह व्रत इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति को देने वाला है। इस कथा को पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।




👉 पद्मा एकादशी व्रत की पूजा विधि ➡️ 


1. पदमा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व मांस, मदिरा, धूम्रपान आदि का त्याग करना अनुकूल होता है सात्विक आहार को शामिल करना चाहिए।


 2. एकादशी के दिन प्रात: स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।


3.मंदिर के स्थान की साफ सफाई करके वहां भगवान की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। 


4.अक्षत्, जल और फूल लेकर एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए।



 5.भगवान श्री विष्णु की मूर्ति को पंचामृत स्नान कराना चाहिए।


6. भगवान का श्रृंगार करना चाहिए. श्री विष्णु जी को वस्त्र, पीले फूल, फल, माला, चंदन, धूप, दीप, अक्षत्, शक्कर, तुलसी के पत्ते इत्यादि अर्पित करने चाहिए।


7.भगवान की पूजा अर्चना के बाद भोग अर्पित करना चाहिए तथा दान इत्यादि कार्यों को करके एकादशी के शुभ फलों का भागी बनना चाहिए।



👉 पद्मा एकादशी व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️ 

 

              सावधानियां 


आज परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान श्री नारायण को पूजा में तुलसी अवश्य अर्पित करें। लेकिन ध्यान रखें, इस तुलसी दल को एकादशी के दिन पेड़ से न तोड़े बल्कि एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लें। इसके अलावा एकादशी व्रत कथा पाठ जरूर करें। इसी स्थिति में आपका व्रत पूर्ण माना जाता है। 


 1.पद्मा एकादशी व्रत के दिन चावल खाना वर्जित माना गया है। यदि आप भूलकर भी ये गलती कर देते है, तो आपका व्रत खंडित माना जाएगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार, न सिर्फ व्रत रखने वाले को बल्कि व्रत नहीं रखने वालों को भी, आज के दिन चावल खाना वर्जित होता है। 


2. पद्मा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। यह अशुभ माना गया है। आप इस दिन भगवान विष्णु के प्रिय रंग यानी पीले रंग के कपडे पहन सकते है। एकादशी की पूजा में पीले रंग का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें, जिसमें पीले फूल, फल-मिठाई आदि है।



👉 पद्मा एकादशी व्रत कब शुरू करना चाहिए 2025 में  


भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी पदमा एकादशी कही जाती है. इस वर्ष 03 सितंबर 2025 को पदमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। 


👉 पद्मा एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए ➡️ 


 5, 11, 21 या अपनी इच्छानुसार पद्मा एकादशी व्रत करने का संकल्प लें  सकते हैं।और व्रत पूर्ण करने के बाद उद्यापन करते हैं। 


👉 पद्मा एकादशी व्रत में पूजा विधि में करें इन मंत्रों का उच्चारण  ➡️


1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय


2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।


हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।


3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।


4. ॐ विष्णवे नम:


5. ॐ हूं विष्णवे नम:


6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।


7. लक्ष्मी विनायक मंत्र-


दन्ताभये चक्र दरो दधानं,


कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।


धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया


लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।


8. धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र-


ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।


ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि 



👉 पद्मा एकादशी व्रत में पूजा विधि में करें ये आरती       


 ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।


भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥


जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।


सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥


मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।


तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥


तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥


पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥


तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।


मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।


किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥


दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।


अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥


विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।


श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥


तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा


तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥


जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।


कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥




👉 पद्मा एकादशी व्रत रखने के लाभ ➡️ 


पद्मा एकादशी व्रत के लाभ इस प्रकार है:-

1.पुण्य का खजाना:-

कहा जाता है कि जो पुण्य सूर्यग्रहण के समय दान से प्राप्त होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य एकादशी व्रत के पालन से मिलता है। यहां तक कि गौ-दान, सुवर्ण-दान और अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक पुण्य एकादशी व्रत से प्राप्त होता है।


2. पितरों की मुक्ति:-

इस व्रत को करने से व्यक्ति के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।


3. धन-धान्य की वृद्धि:-

एकादशी व्रत करने वालों के घर में धन-धान्य, संतान और कीर्ति में वृद्धि होती है। साथ ही, श्रद्धा और भक्ति में भी बढ़ोतरी होती है, जिससे जीवन रसमय हो जाता है।


4.भगवान की प्रसन्नता:-

भगवान शिव ने नारद मुनि से कहा था कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। एकादशी के दिन किया गया व्रत और दान अनंत गुना पुण्य प्रदान करता है।


5.एकादशी के दिन क्या करें:-

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ: एकादशी के दिन दीप जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जाप करें। अगर घर में झगड़े होते हों तो झगड़े शांत करने का संकल्प लेकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, जिससे घर में शांति स्थापित होगी।



👉 पद्मा एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️ 


1.इस दिन व्रती साबुदाना, बादाम, नारियल, शकरकंद, आलू, मिर्च सेंधा नमक, राजगीर का आटा, चीनी आदि खा सकते है।



2.एकादशी व्रत में तेज मसाले नहीं खाए जाते हैं। इसके अलावा एकादशी व्रत में सामान्य नमक नहीं खाया जाता है।


3. एकादशी व्रत में सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है। सिंघाड़े का आटा भी एकादशी व्रत में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस दिन सिर्फ घी का ही इस्‍तेमाल क‍िया जाता है।



👉 पद्मा एकादशी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ➡️ 


1. इस दिन व्रती को गोभी,गाजर,शलजम और पालक का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में तामसिक भोजन, मसूर, उड़द और चने की दाल के सेवन की मनाही होती है। 


2. एकादशी के दिन तामसिक चीजें जैसे- मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज और मसूर की दाल का सेवन गलती से भी नहीं करना चाहिए।


3. एकादशी के दिन चावल खाना पूर्ण रूप से वर्जित होता है। तो इस दिन गलती से भी चावल का सेवन न करें। न ही इस द‍िन घर पर चावल पकाएं। इस दिन व्रती को तेल खाने से बचना चाह‍िए।



👉 पद्मा एकादशी व्रत के दिन करें ये विशेष काम ➡️


 पद्मा एकादशी के दिन करें ये  विशेष काम

1.पध्मा एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है।


2 पद्मा एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए।


3. विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए पद्मा एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए।


3. पद्मा एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।

4. कहा जाता है कि  पद्मा एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


👉 पद्मा एकादशी व्रतों का उद्यापन कैसे करें ➡️ 


पद्मा एकादशी व्रत का उद्यापन देवताओं के प्रबोध समय में ही करना चाहिए। खासतौर पर मार्गशीर्ष माह, माघ माह या भीम तिथि (माघ शुक्ल एकादशी) को ही एकादशी व्रत का उद्यापन करना चाहिए।


पद्मा एकादशी व्रत का उद्यापन चातुर्मास में नहीं करना चाहिए। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं।


नोट  इस आर्टिकल में निहित किसी भी जानकारी , सामग्री , गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों , ज्योतिषियों ,पंचांग , प्रवचनों , मान्यताओं , धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

              ✍️  मंजीत सनसनवाल 🤔 

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