वृहस्पति वार
👉 इस आर्टिकल में वृहस्पति वार व्रत कथा की संपूर्ण जानकारी मिलेगी। वृहस्पति वार का दिन भगवान वृहस्पति देवा का वार माना जाता है। भारत विभिन्न धर्मों का देश है। यहां हर वार को किसी - न - किसी भगवान का वार माना है। हर वार को त्यौहार के रूप मे माना जाता है। हर वार को व्रत रखना बड़ा पवित्र माना जाता है। हर व्रत के पिछे कुछ नियम होते हैं। तो इस पर चर्चा करते हुए वृहस्पति वार व्रत कथा क्या है , वृहस्पति वार के व्रत की विधि क्या है , वृहस्पति वार व्रत के मंत्र क्या हैं , वृहस्पति वार के व्रत की आरती क्या है , वृहस्पति वार के लाभ क्या हैं , वृहस्पति वार व्रत में क्या खाना चाहिए , वृहस्पति वार के व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए , वृहस्पति वार व्रत में भगवान वृहस्पति देवा को क्या चढ़ाना चाहिए। वृहस्पति वार का व्रत कब शुरू करना चाहिए , वृहस्पति वार व्रत का उद्यापन कैसे कर चाहिए। 👉 वृहस्पति वार व्रत कथा ➡️ प्राचीन समय की बात है. किसी राज्य में एक बड़ा प्रतापी तथा दानी राजा राज्य करता था. वह प्रत्येक गुरूवार को व्रत रखता एवं भूखे और गरीबों को दान देकर पुण्य प्राप्त करता था परन्तु यह बात उसकी रानी को अच्छा नहीं लगता था. वह न तो व्रत करती थी और न ही किसी को एक भी पैसा दान में देती थी और राजा को भी ऐसा करने से मना करती थी.
एक समय की बात है, राजा शिकार खेलने को वन को चले गए थे. घर पर रानी और दासी थी. उसी समय गुरु वृहस्पतिदेव साधु का रूप धारण कर राजा के दरवाजे पर भिक्षा मांगने को आए. साधु ने जब रानी से भिक्षा मांगी तो वह कहने लगी, हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं. आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे कि सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं.
वृहस्पतिदेव ने कहा, हे देवी, तुम बड़ी विचित्र हो, संतान और धन से कोई दुखी होता है. अगर अधिक धन है तो इसे शुभ कार्यों में लगाओ, कुवांरी कन्याओं का विवाह कराओ, विद्यालय और बाग़-बगीचे का निर्माण कराओ, जिससे तुम्हारे दोनों लोक सुधरें, परन्तु साधु की इन बातों से रानी को ख़ुशी नहीं हुई. उसने कहा- मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है, जिसे मैं दान दूं और जिसे संभालने में मेरा सारा समय नष्ट हो जाए.
तब साधु ने कहा- यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो मैं जैसा तुम्हें बताता हूं तुम वैसा ही करना. वृहस्पतिवार के दिन तुम घर को गोबर से लीपना, अपने केशों को पीली मिटटी से धोना, केशों को धोते समय स्नान करना, राजा से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस मदिरा खाना, कपड़ा धोबी के यहां धुलने डालना. इस प्रकार सात वृहस्पतिवार करने से तुम्हारा समस्त धन नष्ट हो जाएगा. इतना कहकर साधु रुपी वृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए.
साधु के कहे अनुसार करते हुए रानी को केवल तीन वृहस्पतिवार ही बीते थे कि उसकी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई. भोजन के लिए राजा का परिवार तरसने लगा. तब एक दिन राजा रानी से बोला- हे रानी, तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूं, क्योंकि यहां पर सभी लोग मुझे जानते हैं. इसलिए मैं कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता. ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया. वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता. इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा. इधर, राजा के परदेश जाते ही रानी और दासी दुखी रहने लगी.
एक बार जब रानी और दासी को सात दिन तक बिना भोजन के रहना पड़ा, तो रानी ने अपनी दासी से कहा- हे दासी, पास ही के नगर में मेरी बहन रहती है. वह बड़ी धनवान है. तू उसके पास जा और कुछ ले आ ताकि थोड़ा-बहुत गुजर-बसर हो जाए. दासी रानी के बहन के पास गई. उस दिन वृहस्पतिवार था और रानी की बहन उस समय वृहस्पतिवार व्रत की कथा सुन रही थी. दासी ने रानी की बहन को अपनी रानी का सन्देश दिया, लेकिन रानी की बड़ी बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया. जब दासी को रानी की बहन से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुखी हुई और उसे क्रोध भी आया. दासी ने वापस आकर रानी को सारी बात बता दी. सुनकर रानी ने अपने भाग्य को कोसा. उधर, रानी की बहन ने सोचा कि मेरी बहन की दासी आई थी, परन्तु मैं उससे नहीं बोली, इससे वह बहुत दुखी हुई होगी. कथा सुनकर और पूजन समाप्त कर वह अपनी बहन के घर आई और कहने लगी- हे बहन, मैं वृहस्पतिवार का व्रत कर रही थी. तुम्हारी दासी मेरे घर आई थी परन्तु जब तक कथा होती है, तब तक न तो उठते हैं और न ही बोलते हैं, इसलिए मैं नहीं बोली. कहो दासी क्यों गई थी.
रानी बोली- बहन, तुमसे क्या छिपाऊं, हमारे घर में खाने तक को अनाज नहीं था. ऐसा कहते-कहते रानी की आंखे भर आई. उसने दासी समेत पिछले सात दिनों से भूखे रहने तक की बात अपनी बहन को विस्तारपूर्वक सूना दी. रानी की बहन बोली- देखो बहन, भगवान वृहस्पतिदेव सबकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. देखो, शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो. पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ पर बहन के आग्रह करने पर उसने अपनी दासी को अन्दर भेजा तो उसे सचमुच अनाज से भरा एक घड़ा मिल गया. यह देखकर दासी को बड़ी हैरानी हुई. दासी रानी से कहने लगी- हे रानी, जब हमको भोजन नहीं मिलता तो हम व्रत ही तो करते हैं, इसलिए क्यों न इनसे व्रत और कथा की विधि पूछ ली जाए, ताकि हम भी व्रत कर सके. तब रानी ने अपनी बहन से वृहस्पतिवार व्रत के बारे में पूछा. उसकी बहन ने बताया, वृहस्पतिवार के व्रत में चने की दाल और मुनक्का से विष्णु भगवान का केले की जड़ में पूजन करें तथा दीपक जलाएं, व्रत कथा सुनें और पीला भोजन ही करें. इससे वृहस्पतिदेव प्रसन्न होते हैं. व्रत और पूजन विधि बतलाकर रानी की बहन अपने घर को लौट गई.
सातवें रोज बाद जब गुरूवार आया तो रानी और दासी ने निश्चयनुसार व्रत रखा. घुड़साल में जाकर चना और गुड़ बीन लाई और फिर उसकी दाल से केले की जड़ तथा विष्णु भगवान का पूजन किया. अब पीला भोजन कहां से आए इस बात को लेकर दोनों बहुत दुखी थे. चूंकि उन्होंने व्रत रखा था इसलिए गुरुदेव उनपर प्रसन्न थे. इसलिए वे एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर दो थालों में सुन्दर पीला भोजन दासी को दे गए. भोजन पाकर दासी प्रसन्न हुई और फिर रानी के साथ मिलकर भोजन ग्रहण किया.
उसके बाद वे सभी गुरूवार को व्रत और पूजन करने लगी. वृहस्पति भगवान की कृपा से उनके पास फिर से धन-संपत्ति हो गया, परन्तु रानी फिर से पहले की तरह आलस्य करने लगी. तब दासी बोली- देखो रानी, तुम पहले भी इस प्रकार आलस्य करती थी, तुम्हें धन रखने में कष्ट होता था, इस कारण सभी धन नष्ट हो गया और अब जब भगवान गुरुदेव की कृपा से धन मिला है तो तुम्हें फिर से आलस्य होता है. बड़ी मुसीबतों के बाद हमने यह धन पाया है, इसलिए हमें दान-पुण्य करना चाहिए, भूखे मनुष्यों को भोजन कराना चाहिए, और धन को शुभ कार्यों में खर्च करना चाहिए, जिससे तुम्हारे कुल का यश बढ़ेगा, स्वर्ग की प्राप्ति हो और पित्तर प्रसन्न हो. दासी की बात मानकर रानी अपना धन शुभ कार्यों में खर्च करने लगी, जिससे पूरे नगर में उसका यश फैलने लगा। 👉 वृहस्पति वार व्रत की विधि ➡️
1. वृहस्पति वार के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें।
2. इसके बाद भगवान बृहस्पति देव का ध्यान करें।
3. वृहस्पति वार भगवान वृहस्पति देवा फूल, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं।
4. इसके बाद वृहस्पति वार व्रत की कथा पढ़ें।
5. पूजा में केला और केले के पत्ते का उपयोग जरूर करें।
6. पूजा के बाद वृहस्पति देवा जी की आरती करें।
7. वृहस्पति वार व्रत में दिन में एक बार बिना नमक का भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
👉 वृहस्पति वार व्रत के मंत्र ➡️ 1.देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। 2. रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।। 👉 वृहस्पति वार व्रत की आरती ➡️ जय वृहस्पति देवा,
ऊँ जय वृहस्पति देवा। छिन-छिन भोग लगाऊँ,
कदली फल मेवा।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा।
तुम पूर्ण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा। चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा।
तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्वार खड़े।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा। दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा।
सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो।
विषय विकार मिटाओ,
संतन सुखकारी।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा। जो कोई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे।
जेठानंद आनंदकर,
सो निश्चित पाए।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा।
सब बोलो विष्णु भगवान की जय।
बोलो वृहस्पति देव भगवान की जय। 👉 वृहस्पति वार का व्रत कब शुरू करना चाहिए ➡️ अगर आप पहली बार वृहस्पति वार का व्रत रखने जा रहे हैं, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम वृहस्पति वार से इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इस व्रत को पौष माह में शुरू करना अच्छा नहीं माना जाता। लेकिन जो जातक पहले से वृहस्पति वार का व्रत कर रहे हैं वह पौष मास में यह व्रत कर सकते हैं। 👉 वृहस्पति वार के व्रत कितने वृहस्पति वार करने चाहिए ➡️ यदि आप वृहस्पति वार का व्रत शुरू करना चाहते हैं तो 5, 11, 21, 51, 101 आदि दिनों तक उपवास कर सकते हैं। इसके साथ ही 16 वृहस्पति वार का व्रत रखना भी अच्छा माना जाता है। वहीं, आप गुरुवार का व्रत 1, 3, 4 या 7 साल तक भी कर सकते हैं। 👉 वृहस्पति वार के व्रत रखने के लाभ ➡️ 1. वृहस्पति वार का व्रत रखने से पितृ दोष समाप्त होता है।
2. इस व्रत को रखने से घर में सुख-शांति आती है।
3. इस दिन का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी मुश्किलें दूर होती हैं।
4. इस व्रत को रखने से आपके कुंडली में यदि अल्पायु का योग है, तो वो समाप्त हो जाता है।
4. इस व्रत के प्रभाव से घर की दरिद्रता दूर हो जाती है, साथ ही धन का आगमन होता है।
5. इस व्रत को करने से कुंडली से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है।
6. वृहस्पति वार का व्रत रखने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
7. इस दिन का उपवास रखने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है। बुधवार के व्रत की संपूर्ण जानकारी जाने के लिए यहां क्लिक करें
👉 वृहस्पति वार के व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️
1. वृहस्पति वार को दक्षिण और पूर्व की दिशा की ओर दिशाशूल होने के कारण आपको दक्षिण और पूर्व की दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
2. वृहस्पति वार के व्रत में नमक नहीं खाया जाता है। इसलिए ऊपर से नमक डालकर के भोजन न करें।
3. वृहस्पति वार का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दूध और केले का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. वृहस्पति वार के दिन साबुन का प्रयोग वर्जित है। इस दिन स्नान करते समय साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए और कपड़े भी साबुन से नहीं धोने चाहिए. महिलाओं को अपना बाल धोने से बचना चाहिए।
5. गुरुवार के दिन नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए. पुरुषों को अपनी शेंविंग नहीं करनी चाहिए। इससे धन हानि की संभावना रहती है।
6. वृहस्पति वार के दिन किसी भी प्रकार का दान नहीं करना चाहिए. पीली चीजों को छोड़कर अन्य किसी भी वस्तु का दान वर्जित है।
7. गुरुवार के दिन पैसे का लेन देन नहीं करना चाहिए। इससे कर्ज बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। 👉 वृहस्पति के व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️ वृहस्पति वार के दिन क्या खाएं :व्रत के समय ये जानना जरुरी है कि आप जिस व्रत को करने जा रहे हैं उस दिन आप क्या कुछ खा सकते हैं।तो आईए जानते हैं कि वृहस्पति के दिन क्या खाना सही रहता है।
1. व्रत में आप दूध, दही, पनीर, मक्खन खा सकते हैं, इससे आपको एनर्जी मिलेगी। 2. अरारोट का आटा, कुट्टू का आटा, राजगीरा आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना और समा चावल खा सकते हैं, ये सभी फलाहार में आते हैं। 3. व्रत में आप सभी फल खा सकते हैं. संतरा, अंगूर, पपीता, खरबूज, तरबूज खाएं. इससे शरीर को पोषण तो मिलेगा ही बॉडी हाइड्रेट भी रहेगी। 4. शकरकंद, गाजर, टमाटर और खीरा खाने से पेट ठंडा रहता है । 5. व्रत के दौरान एनर्जी बनाए रखने के लिए आप ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं. बादाम, काजू, पिस्ता, डेट्स, अखरोट, मूंगफली आदि खाने से आपके अंदर एनर्जी बनी रहेगी और जल्दी भूख भी नहीं लगेगी। 6. व्रत का खाना बनाते वक्त आप साबुत मसाले, गुड़, सेंधा नमक, जीरा, लाल मिर्च, अमचूर जैसी चीजों को इस्तेमाल कर सकते है। 7. व्रत का खाना घी या मूंगफली तेल या फिर ग्राउंडनट ऑयल में ही बनाएं। 👉 वृहस्पति वार के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ➡️ वृहस्पति वार के दिन कई चीजों का खाना वर्जित होता है।। यदि आपने गलती से भी इसका सेवन कर लिया तो मानकर चलिए व्रत टूट गया।
1. व्रत में गेहूं का आटा, बेसन, सूजी, मैदा, चावल जैसे अनाज भी नहीं खाना चाहिए। 2.वृहस्पति वार में प्याज और लहसुन का उपयोग भी नहीं होता है। 3. व्रत के दिनों में नमक भी नहीं खाया जाता, सिर्फ सेंधा नमक का इस्तेमाल होता है। 4. एक बात का ध्यान जरूर रखें, व्रत में किसी तरह का नशा न करें । 👉 वृहस्पति वार के व्रत वाले दिन भगवान वृहस्पति देवा जी पर क्या चढाए ➡️ 1. वृहस्पति वार का व्रत विधि-विधान से करना चाहिए। ऐसे में व्रत वाले दिन उठकर स्नाने के बाद बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए। 2. बृहस्पति देव की पूजा में पीले फूल, पीली वस्तुएं, चने की दाल, पीली मिठाई, मुनक्का, पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है. साथ ही गुरुवार व्रत के दौरान केले के पेड़ की पूजा की जाती है। 3. गुड़ और चने का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा हल्दी में जल डालकर बृहस्पति देव का अभिषेक किया जाता है। पूजन के बाद हाथ में चना और गुड़ लेकर गुरुवार व्रत कथा का पाठ किया जाता है और फिर आरती की जाती है। आरती के बाद फलाहार का सेवन किया जाता है।
👉 वृहस्पति वार के व्रतों का उद्यापन कैसे करें ➡️ इसके बाद वृहस्पति वार व्रत के उद्यापन के दिन भगवान वृहस्पति देवा जी को खीर का भोग लगाएं। हाथ में जल भरकर भगवान वृहस्पति देवा जी के सामने अर्पित करें। इसके बाद आपका वृहस्पति वार व्रत संकल्प पूरा हो जाएगा। अंत में केले के पेड़ की पूजा कर गरीबों में अन्न और वस्त्रों का दान करें। 👉 नोट ➡️ इस आर्टिकल में निहित किसी भी जानकारी ,सामग्री , गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों ,ज्योतिषियों ,पंचांग , प्रवचनों , मान्यताओं , धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ✍️ मंजीत सनसनवाल 🤔