बुधवार व्रत कथा
दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया। वहां से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की।रास्ते में पत्नी को प्यास लगी तो साहुकार उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने के लिए चला गया।थोड़ी देर बाद जब वो कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था। पत्नी भी साहुकार को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहुकार ने उस व्यक्ति से पूछा- तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो। साहुकार की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, यह मेरी पत्नी है।मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?
साहुकार ने लगभग चीखते हुए कहा- तुम जरुर कोई चोर या ठग हो। यह मेरी पत्नी है। मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था। इस पर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, झूठ तो तुम बोल रहे हो। पत्नी को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था। मैं तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है।अब तुम चुपचाप यहां से चलते बनो नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा।
दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे।उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहां एकत्र हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए। सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए। सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया।पत्नी भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी।राजा ने उन दोनों को कारागार में डाल देने को कहा।राजा के फैसले को सुनकर असली साहुकार भयभीत हो उठा। तभी आकाशवाणी हुई- साहुकार तूने माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।
साहुकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई।भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूंगा। साहुकार की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया। तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया।राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देखकर हैरान हो गए। भगवान बुधदेव् की अनुकम्पा से राजा ने साहुकार और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया।
कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई। बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था। दोनों उसमें बैठकर नगर की ओर चल दिए। शहुकार और उसकी पत्नी दोनों बुधवार का व्रत करते हुए आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे। भगवान बुधदेव की अनुकम्पा से उनके घर में धन-संपत्ति की वर्षा होने लगी। जल्द ही उनके जीवन में खुशियां ही खुशियां भर गई। बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुष के जीवन में सभी मंगलकामनाएं पूरी होती
है।
👉 बुधवार के व्रत में की जाने वाली विधि ➡️ 1. बुधवार व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद घर या मंदिर में गणपति की पूजा करें।घर में ईशान कोण में गंगाजल छिड़कर पूजा की चौकी स्थापित करें।
2. अब गणेश जी का दूध, दही, घी, शहद, से अभिषेक करें। बुध देव का स्मरण भी करें।
3. चौकी पर गणपति को स्थापित करें। अब गणेश जी को लाल या पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. कुमकुम, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, फूल, सिंदूर चढ़़ाएं।
4. 11 दूर्वा की गांठ बप्पा को चढ़ाए, इसके बाद हर बुधवार को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। बुधवार व्रत की कथा करें।
5. अंत में आरती कर, गाय को हरा चारा खिलाएं और जरुरतमंदों को हरे मूंग, हरे वस्त्र, इलायची का दान करें।
6. दिनभर फलाहार व्रत रखने के बाद शाम को पुन: गणपति के समक्ष दीप जलाकर पूजा करें और फिर सात्विक भोजन ग्रहण कर ही व्रत का पारण करें।
7. बुधवार व्रत के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही बेटियों का अपमान न करें।
👉 बुधवार के व्रत में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ➡️ बुधवार को खाने की चीजों में हरे रंग की वस्तुएं जरूर शामिल करनी चाहिए। हरे रंग पर बुध का प्रभाव होता है और बुधवार को हरी चीजें खाने से बुद्धि का शीघ्र विकास होता है। बुधवार के दिन साबुत मूंग दाल, हरा धनिया व पालक और सरसों का साग खाना चाहिए। इसके साथ ही खाने में हरी मिर्च का प्रयोग जरूर करें। फलों में बुधवार को अमरूद खाएं तो सबसे अच्छा होगा और इसके साथ ही पपीता खाना भी अच्छा माना जाता है। बुधवार के दिन खाने की हरी वस्तुओं का दान करने से भी आपके कष्ट दूर होते हैं और आपको बुध ग्रह के शुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं। मंगलवार व्रत कथा की संपूर्ण जानकारी जाने के लिए यहां क्लिक करें
👉 बुधवार के व्रत में गाएं जाने वाली आरती ➡️ आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नंदनंदन बृजभान किशोरी। परमानंद स्वामी अ
विचल जोरी॥ 👉 बुधवार के व्रत में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र ➡️ ‘ॐ गं गणपतये नमः ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।' ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।' ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।' 👉 बुधवार के व्रत में क्या खाना चाहिए ➡️ बुधवार के दिन सभी तरह की साग सब्जियां और कंदमूल को खाने का दिन माना गया है। इस दिन चौलाई, पालक, मूली भाजी सहित सभी हरे रंग की साग सब्जियों को ग्रहण करना चाहिए। हरे रंग पर शाकंभरी माता की भी विशेष कृपा रहती है। इस दिन सूखे मेवे में काजू, बादाम, पिस्ता, अंजीर, मुनक्का, खजूर आदि को संतुलित मात्रा में मिलाकर ग्रहण करना चाहिए।इसके साथ ही धनिया जैसे औषधि में सब्जियों का भी सेवन रोटी में मिलाकर भरपूर मात्रा में करना चाहिए।इस दिन सभी तरह के नैवेद्य मिष्ठान सेवन करने का भी विधान है।भगवान गणेश को सभी तरह की मिठाइयां बहुत प्रिय मानी गई है।हालांकि मगज, बेसन और मोदक के लड्डू गणपति को अति प्रिय है।इन चीजों को भगवान को भोग लगाकर सच्चे मन से ग्रहण करना चाहिए।" बुधवार के दिन काले अंगूर, काले उड़द, तुअर दाल का उपयोग नहीं करना चाहिए. इस दिन हरे मूंग की दाल का भोजन में उपयोग करना चाहिए। 👉 बुधवार के व्रत के लाभ ➡️ 1.बुधवार की प्रकृति चर और सौम्य मानी गई है। ज्योतिष अनुसार यह भगवान गणेश और लाल किताब अनुसार दुर्गा माता का दिन है। कमजोर मस्तिष्क वालों को बुधवार के दिन उपवास रख कर पूजा करना चाहिए, क्योंकि बुधवार का दिन बुद्धि प्राप्ति का दिन होता है।
2. पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं।
3. प्रत्येक बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और उसके जीवन से सभी तरह की रुकावटें दूर होती हैं।
4. बुधवार के दिन घर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना करने से समस्त प्रकार की तंत्र शक्ति का निवारण होता है।
5. इसी प्रकार यदि परिवार में गृह कलेश हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेशजी की प्रतिकात्मक प्रतिमा बनाएं। इसे अपने घर के देवालय में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें।
6. धन प्राप्ति के लिए बुधवार के दिन श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं। बाद में यह घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।
7.गणेश या दुर्गा मंदिर के बाहर बैठी किसी कन्या को बुधवार के दिन साबुत बादाम देना चाहिए। इससे घर की बीमारी दूर होती है।
8. इस दिन जमा किए गए धन में बरकत रहती है। बुधवार को धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए। 9. बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें- त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
अर्थात भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं। आप ही सत्य और नित्य बोधस्वरूप हैं। आपको मैं सदा नमन करता हूं। कम से कम 21 बार इस मंत्र का जप जरुर होना चाहिए।
10. ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए-
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
ये भगवान गणेश जी के बारह नाम है। इन नामों का जप उचित स्थान पर बैठकर किया जाए तो यह उत्तम फलदायी है। जब पूरी पूजा विधि हो जाए तो कम से कम 11 बार इन नामों का जप करना शुभ होता है। 👉 बुधवार के व्रत में भगवान गणेश जी पर क्या चढ़ाना चाहिए ➡️ 1. बुधवार के दिन गणेश जी के मंदिर जाकर उन्हें गुड़ का भोग लगाएं। ऐसा करने से गणपति के साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।इसके अलावा बुधवार के दिन गणपति को मोदक का भोग भी जरूर लगाना चाहिए।
2. अगर आप किसी प्रकार के आर्थिक संकट से जूंझ रहे हैं तो बुधवार के दिन गणपति तो 21 या 42 जावित्री अर्पित करें।
3.बुधवार के दिन मंदिर में जाकर भगवान गणेश को दूर्वा और लड्डू चढ़ाने से गणपति प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते है। 👉 बुधवार का व्रत कब शुरू करना चाहिए ➡️ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप बुधवार का व्रत करने की सोच रहे हैं, तो इसकी शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से कर सकते हैं। बुधवार व्रत 21 या 45 की संख्या में की जाती है। आखिरी बुधवार के दिन पूजा-पाठ, दान के बाद उद्यापन कर दें। बुधवार के दिन व्रत रखने पर जीवन में सुख-समृद्धि आती है और समय मंगलमय रहता है। 👉 बुधवार के व्रतों क्या उद्यापन कैसे करें ➡️ 1. बुधवार व्रत के उद्यापन के लिए सबसे पहले आपको 7, 11, या फिर 21 दिन का उपवास पूरा करना है।
2. इसके बाद बुधवार के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
3. इस दिन स्नान करने के बाद हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
4. अब मंदिर की साफ-सफाई कर उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
5. अब एक लकड़ी की चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
6. पूजा के दौरान आप पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही पूजा करें।
7. आसन पर बैठकर भगवान गणेश जी की फूल, धूप, दीप, कपूर, चंदन से पूजा अर्चना करें।
8. गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें। इससे वह अति प्रसन्न हो जाते हैं।
9. इसके बाद गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं।
10. 108 बार ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। इस आर्टिकल में बताए गए उपाय ,लाभ ,सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए है। इस आर्टिकल में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करते है। इस आर्टिकल में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों ,ज्योतिषियों ,पंचांग ,प्रवचनों ,मान्यताओं ,धर्मग्रंथों , दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि आर्टिकल को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।