👉आज हम इस आर्टिकल में बवासीर क्या है और इसके लक्षण क्या हैं तथा इस का इलाज कैसे किया जा सकता है। ये बताई गई सभी जानकारी शोधों और घरेलू उपचारों से ली गई है। आप जानकारी अच्छी लगे तो प्लीज़ अन्य लोगों को शेयर जरुर करें।
बवासीर क्या है ÷
अधिक मात्रा में भोजन करना , बिना भूख के भोजन करना , बिना चबाए जल्दी - जल्द भोजन करना , मसालेदार तिखी व तली - भुनी चीजों का ज्यादा सेवन करना एक ही स्थान पर ज्यादा समय तक बैठे रहना जैसी गलत आदतों से कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है। इससे बड़ी आंत में मल इकट्ठा होने लगता है। ज्यादा मात्रा में मल इकट्ठा रहने से गुदा की नसों में रक्त संचार व प्राण प्रवाह ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है और वे फूल जाती है। उनमें जलन और भीषण खाज होने लगती है और वे सूज जाती है। शौच के समय जोर लगाना पड़ता है। जोर लगाने से मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती है। इस प्रकार बवासीर की समस्या उत्पन्न होती है। बवासीर के लक्षण ÷ 1.मोटापा ÷ मोटापे के कारण पेट बठ़ने लगता है । पेट के भीतर का दबाव बढ़ने से मल द्वार की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है । दबाव बढ़ने से मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती है । और रक्त संचार कम हो जाता है । ऐसे स्वाभिक है बवासीर होना। यह जरूरी नहीं है कि बवासीर मोटे इंसान को ही होगी। 2. बढ़ती उम्र ÷ बढ़ती उम्र के साथ - साथ जो मांसपेशियां बवासीर से बचाव करती । वह कमजोर पड़ जाती है । इसी कारण बवासीर होने के चानश और बढ़ जाता है । बवासीर के मस्से उभर कर बाहर की और निकल आते हैं। बवासीर बढ़ती उम्र में ही होगी है जरूरी नहीं है। बवासीर किसी भी आयु में हो सकती है। 3. गर्भावस्था ÷ गर्भावस्था में गर्भाशय के बढ़ते आकार के कारण गुदा की नसों में तनाव आने लगता है और उनपर सूजन आ जाती है। गर्भावस्था में बवासीर 100% होने की संभावना होती है। . बवासीर के प्रकार ÷ बवासीर के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं। 1. आंतरिक ( खूनी बवासीर ) 2. बाहरी ( बादी बवासीर ) 1. आंतरिक ( खूनी बवासीर ) ÷ इसमें बवासीर के मस्से दिखाई नहीं देते हैं। जब बवासीर में शौच के साथ खून गिरता है तो उसे खूनी बवासीर कहते हैं। खून गिरने से रोगी घबरा जाता है। कई दिनों तक लगातार खून गिरने से शरीर में खून की कमी हो जाती है। खून की कमी से शरीर कमजोर पड़ जाता है। खून की कमी से एनिमा भी हो सकता है। 2. बाहरी ( बादी बवासीर ) ÷इसमें बवासीर के मस्से गुदा से बाहर की ओर निकले होते हैं।बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी रहती है। इसके मस्सों से खून नहीं गिरता है। इन मस्सों को बाहर आसानी से देखा जा सकता है। ये मस्से सूजकर मोटे हो जाते हैं और इनमें दर्द , बार - बार खुजली , जलन , होने लगती है। 👉 बवासीर का इलाज ÷
कब्ज , बवासीर का मुख्य कारण होता है। बवासीर में कब्ज को दूर करना जरूरी है। इसके के लिए दवाईयों के साथ खानपान और जीवनशैली में उचित बदलाव करना आवश्यक है। बवासीर का दर्द काफी असहनीय होता है। इसे दूर करने के लिए आप निम्न उपाय कर सकते हैं। 1. आइस पैक ÷ बवासीर में दर्द हो तो आइस पैक प्रभावित जगह पर सिकाई करने से आराम पहुंचाता है। इसके के लिए रोजाना 20 मिनट सिकाई जरूर करें। आइस पैक को हिंदी में बर्फ कहते हैं। 2. 2 - 3 अंजीर गर्म पानी से धोकर रात को कांच के बर्तन में भिगो दें। प्रातः काल उन्हें मसलकर खा जाएं और उसका पानी पीने पी लें। 2 - 3 सप्ताह तक अंजीर का प्रयोग करने से बवासीर में लाभ मिलता है। 3. एलोवेरा अपने सूजनरोधक , कब्जनिवारक गुणों के कारण आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स में लाभदाय है। एलोवेरा के 200 ग्राम गूंदें को खाने से कब्ज़ नहीं होता है। मल त्यागने में आसानी होगी। गुदा के बाहर के मस्सों पर एलोवेरा जेल लगाएं। इससे जलन और खुजली शांत होती है। 4. करीब दो लीटर मट्ठा उसमें 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा काला नमक मिला दें। जब भी प्यास लगें तब पानी पीएं। सात दिन तक यह प्रयोग करने से बवासीर के मस्से के मस्से ठीक हो जाते हैं। 5. बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरो के दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें । इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं। 6.खून बवासीर में जीरे को भूनकर मिश्री के साथ पील लें। इस दिन में 2 - 3 बार 1 - 2 ग्राम की मात्रा में मट्ठे के साथ लें। 7. इसबगोल की भूसी को दहीं के साथ मिलाकर लें । इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नहीं करता। 8.बवासीर के मुख्य कारण कब्ज को खत्म करने और बवासीर को विकसित होने से रोकने के लिए त्रिफला चूर्ण नियमित रूप से लेना चाहिए। रात में सोने से पहले नियमित रूप से गर्म पानी में 4 ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला कर लें। 9.अंरडी का तेल में एंटी ऑक्सीडेंट , एंटी इंफ्लेमेटरा होने से दर्द और संक्रमण को कम कर बवासीर में राहत देता है। अरंडी के तेल टी ऑयल की कुछ बूंदें डालें और एक साफ रूई का गोला इसमें भिगोकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। 10.बवासीर में दूध पी सकते हैं। दूध में आपको डायबिटीज़ न हो तो गुड़ मिलाकर पीजिए। 11. डॉ. वैधाज का हर्बोपाइल्स उन आयुर्वेदिक औषधियों से बना है जो बवासीर में बहोत फायदेमंद है। इसमें निम्बोडि , नागकेशर , हरड़ जैसे बवासीर में लाभदायक धटक होने के कारण यह कड़ेपन को दूर करता है। खून गिरना कम करता है। दर्द और खूजली को दूर कर बवासीर में राहत पहुंचाता है। यह किसी भी मेडिकल स्टोर या पंसारी की दुकान पर मिल जाता है। 12. अधिक फाइबर युक्त आहार का सेवन करें । जैसे - रेसेदार फ़ल एवं सब्जियां 13.रोजाना 7 - 8 गिलास पानी पिएं। 14.भोजन में सुबह नियमित रूप से छांछ या दही का सेवन करें। 15.तली - भुनी चीजें , मांस , मछली , शराब और धुम्रपान जैसी चीजों से दूर रहें। 16.सुबह जल्दी उठें और रात को समय से सोएं। 17.रोजना योग और एक्सरसाइज करें। सुबह - शाम वाॅक पर जाएं।
18.वजन नियंत्रित रखें। ✍️ मंजीत सनसनवाल